करियर या बच्चा? ये सवाल स ...
करियर या बच्चा? अपने देश में इस सवाल से आमतौर पर पुरुषों को रूबरू नहीं होना पड़ता है लेकिन बात अगर वर्किंग मां की हो तो ये प्रश्न उनका पीछा नहीं छोड़ता है। खासतौर से तब जब अगर कोई कपल पहली बार पेरेंट्स बनने जा रहे हैं तो मां से ये सवाल उनके दफ्तर के सहयोगियों से लेकर दोस्त और रिश्तेदार भी पूछना शुरू कर देते हैं। अब एक बार फिर से इसी विषय पर बहस छिड़ गई है कि आखिर बच्चा होने के बाद मां ही क्यों अपने करियर का त्याग करे, क्यों नहीं ये प्रश्न किसी पुरुष से पूछा जाता है। एक बच्चे को इस दुनिया में लाने का फैसला पति और पत्नी दोनों का ही होता है और उसके बाद की जिम्मेदारियों का निर्वहन करने का दायित्व भी समान रूप से दोनों का होना चाहिए। हाल ही में आलिया भट्ट से एक पत्रकार ने प्रश्न पूछा कि क्या मां बनने के बाद वे एक्टिंग से ब्रेक ले लेंगी? आलिया भट्ट ने भी पलटकर उसी पत्रकार से सवाल दाग दिया कि एक महिला जो कुछ भी करती है तो वह सुर्खियां क्यों बन जाती है? आलिया ने कहा कि शादी कर लेने या बच्चा हो जाने से मेरी प्रोफेशनल लाइफ क्यों बदलेगी?
बहुत सारी मल्टीनेशनल कंपनियों में काम कर रही महिला कर्मचारियों ने भी इसको लेकर अपना दर्द बयां किया है। बच्चे को जन्म देने के बाद उनके ऑफिस में दोबारा ज्वाइन करने पर साथ काम कर रहे कुछ सहकर्मियों का नजरिया बदल जाता है। दैनिक भास्कर अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक बैंगलुरु में रहने वाली रिचा मिश्रा एक आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। मैटरनिटी लीव के बाद जब वो वापस काम करने के लिए उसके बाद से उनके कामकाज पर सवालिया निशान लगाया जाने लगा। मैनेजर कहते थे कि अब वो परफॉर्म नहीं कर पा रही है। एक दिन बच्चे की तबियत खराब हुई तो मैनेजर ने कहा कि तुम्हारे लिए जॉब नहीं बेबी ज्यादा प्राथमिकता है। उसके बाद के हालात को देखते हुए रिचा मिश्रा ने उस जॉब को ही छोड़ दिया। इसके बाद भी उनकी चुनौतियां समाप्त नहीं हुई। नए नौकरी के लिए जब वो इंटरव्यू देने जाती थीं और कहती थीं की मैटरनिटी लीव से वापस लौटी हूं तो उनसे प्रश्न पूछ दिया जाता था कि फिर वे कैसे खुद को साबित कर पाएंगी।
अशोका यूनिवर्सिटी के एक सर्वे के अनुसार 50 फीसदी महिलाएं 30 साल की उम्र तक बच्चे की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ देती हैं। जबकि नई मां बनीं 73% महिलाएं इस्तीफा दे देती हैं। मात्र 27% महिलाएं ही मैटरनिटी के बाद वापस काम पर लौटती हैं। इनमें 16% महिलाएं उच्च पद पर तैनात होती हैं।
2013 में वर्ल्ड बैंक की स्टडी में चौंकाने वाली बात सामने आई। भारत में केवल 27% महिलाएं ही वर्किंग हैं। यह ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में सबसे कम रेट है। सबसे ज्यादा रेट 64% चीन का था।
हम मानते हैं कि बच्चे को जन्म देने के बाद वर्किंग मां के सामने अनेक प्रकार की चुनौतियां होती है। सबसे पहली प्राथमिकता तो शिशु की देखभाल लेकिन आप कुछ उपायों का पालन करके अपने प्रोफेशन और बेबीकेयर दोनों में ही सामंजस्य स्थापित कर सकती हैं।
ऑफिस जिस दिन ज्वाइन करना है उसकी तारीख का चयन सोच समझ कर करें- आप अपने शिशु को घर पर छोड़कर ऑफिस जा रही है, शुरुआत के दिनों में ये बड़ा कठिन लग सकता है इसलिए आप ये प्रयास करें कि आपके घर पर शिशु की देखभाल के लिए कोई अवश्य हो और उसके बाद ही ऑफिस ज्वाइन करें।
ऑफिस के पास हो डे केयर- अगर आप संयुक्त परिवार में रहती हैं या आपके घर में कोई बड़े बुजुर्ग उपस्थित हैं तब तो उतनी चिंता की बात नहीं लेकिन आपके साथ घर पर कोई नहीं रहता है तो अपने ऑफिस के सबसे नजदीकी डे केयर का चयन करें। ताकि आप बीच बीच में समय निकालकर बच्चे को फीड कराने के लिए या किसी आपातकालीन परिस्थिति में तुरंत वहां पहुंच सकें।
अपनी जरूरतों का हर सामान ऑफिस में साथ रखें- आप ऑफिस जाने के दौरान कंफर्टेबल कपड़े पहने। इसके अलावा आपको अपने आहार का भी पूरा ख्याल रखना है।
मन में किसी प्रकार की दुर्भावना ना पालें- वर्किंग वुमन होने के नाते आप अपने बच्चे को उतना समय नहीं दे पा रही हैं तो इसको लेकर किसी प्रकार का गिल्ट ना पालें। आप इस बात को लेकर अच्छा फील करें कि काम करने के साथ साथ अपने बच्चे का भविष्य सुरक्षित करने की दिशा में बेहतर कर रही हैं।
लोग क्या कहेंगे इस बात की चिंता ना करें- आपके ऑफिस में लोग क्या कहेंगे या आसपास के लोग क्या बोल रहे हैं इस बात की चिंता आपको नहीं करनी चाहिए। न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डन अपने बच्चे के साथ संसद भवन में पहुंची थीं और सारी दुनिया ने उनके इस कदम की सराहना की।
अपने दफ्तर में आप बेबी फ्रेंडली माहौल बनाने का प्रयास करें- कुछ कॉरपोरेट कंपनियों ने वर्किंग मॉम्स की परेशानी को समझते हुए ऑफिस परिसर के अंदर ही बेबी डे केयर का इंतजाम किया है। अगर ये सुविधाएं आपके कंपनी में नहीं है तो आप मैनेजमेंट से इस तरह की सुविधाएं मुहैया कराने का निवेदन कर सकती हैं।
अपने ऑफिस के काम को अच्छे से कर सकें इसके लिए कुछ बैकअप प्लान बना लें। आफिस के काम को पूरा फोकस्ड होकर करें, जल्दबाजी में काम नहीं करें। घर और ऑफिस के काम में संतुलन बनाए रखें और खुद पर विश्वास कायम रखें।
सबसे महत्वपूर्ण बात की दुनिया में इस तरह के अनेको उदाहरण भरे हुए हैं जहां महिलाओं ने अपने आत्मविश्वास और दमखम की बदौलत खुद की काबिलियत को साबित किया है। भारत की वर्तमान राष्ट्रपति दौपदी मुर्मु से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, बॉक्सर मैरी कॉम और अनेकों ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने मां होने के बाद भी पुरुष सत्तात्मक समाज में खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित किया है। तो अपने आत्मविश्वास को कम मत होने दीजिए और जो लोग आपसे ये सवाल पूछें तो उन्हें पलटकर सवाल पूछिए कि करियर या बच्चा,,,ये प्रश्न सिर्फ मां से क्यों पापा से भी जाकर पूछो।
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