क्या होती है इंप्लांटेशन ब्लीडिंग

प्रेग्नेंसी के शुरुआती कुछ हफ्ते में खून आना बहुत सामान्य बात है। इस तरह की दिक्कत हर चार में से 1 केस में सामने आती है। ब्लीडिंग कम या ज्यादा, दर्द व बिना दर्द के भी हो सकती है। इस दिक्कत को मेडिकल साइंस में इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहा जाता है। यूं तो यह सामान्य बात है, लेकिन कुछ केस में यह गर्भपात का कारण भी बन सकता है। आज हम बात करेंगे आखिर क्या है इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग व इस केस में किन बातों का रखें ध्यान।
यूं समझें इंप्लांटेशन ब्लीडिंग / Implantation Bleeding In Hindi
डॉक्टरों के अनुसार प्रेग्नेंसी के शुरुआती हफ्ते में फर्टिलाइज्ड अंडा गर्भाशय की लाइनिंग पर इम्प्लांट होता है। फर्टिलाइज्ड अंडा फैलोपियन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय में जाता है और गर्भाशय की लाइनिंग से जुड़ जाता है। इस प्रोसेस के दौरान गर्भवती महिला की कुछ रक्त धमनियों को नुकसान पहुंचता, जिस वजह से ब्लीडिंग होती है। अधिकतर केस में इससे कोई नुकसान नहीं होता है और गर्भवती महिला स्वस्थ बच्चे को जन्म देती है।
कुछ ही केस में गर्भपात
बहुत कम केस में देखा गया है कि इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के बाद गर्भपात हो। पर इस दौरान कुछ चीजें ऐसी होती हैं, जिससे गर्भपात हो सकता है। गर्भपात भ्रूण के सही से विकसित न होने, जीन की समस्या, क्रोमोसोमल डिफेक्ट, सर्विक्स के कमजोर होने, इन्फेक्शन, हार्मोन के कम होने व एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की वजह से हो सकता है।
एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को भी समझें
डॉक्टरों के अनुसार, कुछ मामलों में शुरुआती ब्लीडिंग की वजह एक्टोपिक प्रेग्नेंसी भी हो सकती है। डॉक्टर बताते हैं कि ऐसा गर्भ जो अपनी जगह से हटकर कहीं दूसरी जगह स्थापित हो जाए, उसे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं। यूं तो गर्भ की निश्चित जगह गर्भाशय है, लेकिन कई केस में गर्भ गर्भाशय के बाहर ठहर जाता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी सबसे ज्यादा फैलोपियन ट्यूब के अंदर होती है, लेकिन कुछ मामले ऐसे में आते हैं जिनमें अंडा पेट के हिस्से में ही निषेचित हो जाता है। हालांकि इस तरह के केस में अक्सर गर्भपात हो जाता है, लेकिन गर्भपात न हो और पेट में दर्द, चक्कर आना व शरीर में दर्द जैसे लक्षण हों तो फौरन स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। अगर गर्भ विकसित हो रहा होगा, तो डॉक्टर गर्भपात की सलाह देगी, क्योंकि गर्भपात न कराने पर मां की जान को खतरा हो सकता है।
इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के दौरान बरतें ये सावधानी
- पैड जरूर लगाएं, जिससे आपको पता चले कि आखिर कितनी ब्लीडिंग हो रही है, खून का रंग कैसा है। इससे डॉक्टर को मामले की गंभीरता समझने में आसानी होगी।
- लक्षणों पर विशेष ध्यान दें जैसे पेट में दर्द, पीठ में दर्द, ज्यादा उलटी व बेहोशी।
- योनि से निकलने वाले रक्त की कुछ कोशिकाएं डॉक्टर को टेस्ट के लिए उपलब्ध कराएं।
- इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग के दौरान यौन संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए।
- इसके अलावा गर्भावस्था के दरान ब्लीडिंग होने पर टैंपून का यूज न करें।
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