क्या आप जानते हैं कि अपने देश में जन्म लेने वाले अधिकांश नवजात शिशु पीलीया यानी जॉन्डिस (Jaundice or Piliya) से पीड़ित होते हैं ? पीलिया होने की स्थिति में अगर समय पर उपचार नहीं किया गया तो बच्चे को शारीरिक रूप से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन आप परेशान ना हो, आज हम आपको इस ब्लॉग में नवजात शिशु को होने वाले पीलिया यानि नवजात जॉन्डिस (Newborn Jaundice) के कारण, लक्षण, बचाव के उपाय और घरेलु उपचार के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे भी जानें: कैसे बढाएं नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी पावर)?
नवजात शिशु में होने वाला जॉन्डिस क्या है? / What is Jaundice in Newborn Baby in Hindi?
जॉन्डिस के सामान्य लक्षणों की तरह शिशु की त्वचा और आंखें पीली हो जाती है। आमतौर पर ये लक्षण शिशु के जन्म के पहले सप्ताह से ही देखने को मिल जाते हैं।
- ये स्थिति तब होती है जब शिशु के खून में उच्च स्तर का बिलीरूबिन (bilirubin) पाया जाता है। बिलीरूबिन लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने पर पैदा होने वाला एक पीला द्रव्य है। बिलीरुबीन को हटाने के लिए शिशु का यकृत तैयार नहीं हुआ रहता है इसलिए ये बीमारी होती है।
- जिन मां को डायबिटीज के लक्षण होते हैं, उनके बच्चे को भी जॉन्डिस होने का खतरा बना रहता है
- एक रीसर्च के मुताबिक समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चों में ये बीमारी लड़कियों की तुलना में लड़के को ज्यादा प्रभावित करता है। डॉक्टरों के मुताबिक समय पर जन्म लेने वाले शिशुओं को जॉन्डिस प्रभावित नहीं करता है।
- इसके अलावा भी कई परिस्थितियां ऐसी होती है जिनके कारण शिशु में पीलिया होने की संभावना बनती है जैसे कि हाइपोक्सिया यानि की ऑक्सीजन का कम स्तर, एंजाइम की कमी, वायरस संक्रमण, शिशु के खून में इनफेक्शन, लीवर में किसी तरह की खराबी।
क्या हैं नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण / Jaundice Symptoms in New-born Baby in Hindi
कैसे पहचानें नवजात शिशु में पीलिया (जॉन्डिस) के लक्षण? जन्म लेने के 2 या 3 दिन के बाद ही नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण विकसित होने लगते हैं। कुछ स्थितियों में पीलिया के लक्षण शिशु के जन्म के 2 से 3 सप्ताह में बिना इलाज के भी ठीक हो जाते हैं।
- बच्चों में पीलिया का सबसे आम लक्षण त्वचा और आंखों का पीला पड़ जाना होता है
- शिशु का वजन नहीं बढ़ना
- पीला पेशाब का होना क्योंकि स्वस्थ नवजात शिशु का पेशाब रंगहीन होता है।
- तेज आवाज में रोना
- चिड़चिड़ापन, बुखार का होना
- चेहरा, हथेली व शरीर के अन्य अंग का पीला दिखाई देना
अगर ये लक्षण आपको अपने शिशु में नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर इन लक्षणों के आधार पर शिशु की जांच करते हैं। शिशु के ब्लड का सैंपल लेकर सीरम बिलीरुबीन के स्तर की जांच की जाती है। इसके अलावा ट्रांस क्यूटनेस बिलीरूबिन मीटर से बिना ब्लड सैंपल लिए हुए जांडिस की जांच की जा सकती है। वैसे तो 2 या दिन हफ्तों में ये बीमारी ठीक हो जाती है लेकिन गंभीर स्थिति होने पर बच्चे को डॉक्टर अपनी निगरानी में हॉस्पीटल में रख सकते हैं।
नवजात शिशु में होने वाले पीलिया के लिए उपचार / Jaundice or Piliya Treatment in Newborn Babies in Hindi
बच्चे में बिलीरूबिन के स्तर को कम करने के लिए इस तरह के उपचार किए जाते हैं।
- फोटोथेरेपी- इसको लाइट थेरेपी के नाम से भी जाना जाता है। इस थेरेपी में शिशु को खास तरह के नीले-हरे रंग के स्पेक्ट्रम के प्रकाश में रखा जाता है। इसके प्रभाव से बिलीरुबिन के अणुओं के आकार और संरचना में बदलाव आते हैं और ये पेशाब और मल के साथ उत्सर्जित कराया जाता है।
- इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (Intravenous Immunoglobulin) - इस उपचार के माध्यम से एंटी बॉडी के स्तर को कम किया जाता ह और बच्चे में पीलिया को कम करता है। रक्त में हुए इनफेक्शन के प्रभाव को भी कम करता है।
- एक्सचेंज ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Exchange blood transfusion) - विषम परिस्थितियों में जब लाइट थेरेपी या अन्य उपचारों से शिशु में पीलिया की बीमारी ठीक नहीं होती है तब बल्ड ट्रांसफ्यूजन का सहारा लिया जाता है। इस उपचार के तहत ब्लड की थोड़ी मात्रा को शिशु के शरीर से पहले वापस लिया जाता है, बिलीरूबिन और एंटी बॉडी के स्तर को कम किया जाता है और फिर उसके बाद वापस शिशु के बॉडी में ब्लड स्थांतरित किया जाता है।
नवजात में पीलिया की रोकथाम कैसे करें?/ Jaundice Prevention in Newborn in Hindi
नवजात शिशु में जॉन्डिस की रोकथाम के लिए इन उपायों को आजमाना चाहिए।
- जॉन्डिस की रोकथाम के लिए सबसे अच्छा और सरल उपाय होता है शिशु को पर्याप्त आहार। जन्म लेने के कुछ दिनों तक मां को चाहिए कि वो प्रतिदिन अपने शिशु को 8 से 12 बार स्तनपान कराएं।
- शिशु के जन्म के पहले 5 दिन बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए शिशु को गहन निगरानी में रखा जाए और जॉन्डिस का लक्षण नजर आते ही डॉक्टर से संपर्क करें।
- अगर मां को स्तनपान कराने से संबंधित कोई परेशानी हो रही है तो डॉक्टर से जरूर संपर्क करें
शिशु में पीलिया के क्या हैं घरेलू उपचार? / Jaundice Home Remedies in Hindi
जानिए हम आपको नवजात शिशु में होने वाले पीलिया के लिए कुछ घरेलु उपचार भी बता रहे हैं।
- सूरज की रोशनी- सूरज की रोशनी यानि धूप को 100 बीमारियों का इलाज बताया जाता है। नवजात शिशु को पीलिया होने की स्थिति में सूरज की किरणें बहुत कारगर उपाय साबित हो सकते हैं। बिलीरुबिन को तोड़ने में धूप मदद करती है और शिशु का यकृत इसको आसानी से बाहर निकालने में सफल हो सकता है। अपने शिशु को दिन में कम से कम 2 बार 10 मिनट के लिए ही सही खिड़की से आ रही हल्की रोशनी या धूप में जरूर रखें। लेकिन इसके साथ ही आपको ये भी एहतियात बरतने की आवश्यकता है कि सीधे सूर्य की रोशनी में बच्चे को ना रखें।
- अगर शिशु को फॉर्मूला मिल्क आहार के रूप में दिया जा रहा है तो डॉक्टर की सलाह पर आप पूरक आहार भी दे सकते हैं। ये आहार पीलिया को ठीक करने में असरदार साबित हो सकते हैं।
- पीलिया से जुड़े मिथकों पर भरोसा ना करें। कुछ मिथक ऐसे हैं जिनकी प्रामाणिकता अब तक सिद्ध नहीं हो पाई है जैसे की पीलिया होने की स्थिति में मां को पीला कपड़ा या पीला भोजन नहीं करना चाहिए या फिर घर पर ट्यूबलाइट के नीचे रखने से शिशु की फोटो थेरेपी की जा सकती है वगैरह-वगैरह। आपने ये मुहावरा तो जरूर सुना होगा कि नीम हकीम खतरे जान तो इसलिए किसी तरह के मिथकों पर भरोसा करने की बजाय आप डॉक्टर के बताए सुझावों और निर्देशों का ही पालन करें।
इस बात का भी ख्याल रखें कि बारिश और सर्दी के मौसम में पीलिया के मामले बढ़ जाता हैं क्योंकि उस दौरान सूरज की रोशनी कम उपलब्ध हो पाती है। और हां सबसे जरूरी बात कि बिना अपने डॉक्टर से पूछे हुए शिशु को किसी भी प्रकार की जड़ी बूटी या घरेलु उपचार भूलकर भी ना दें।