क्या हैं ऑटिज्म (Autism) के शुरुआती लक्षण, कारण और प्रकार ?

ऑटिज्म(Autism) एक मानसिक विकार (Disorder) है जिसके लक्षण बच्चे के विकास के दौरान धीरे-धीरे नजर आते हैं। यह विकार बच्चे के सामान्य बर्ताव पर असर करता है और उसके लिए दूसरों के साथ सामाजिक संबंध स्थापित करना कठिन बना देता है। आमतौर पर जिन बच्चों को यह तकलीफ होती है उनका विकास दूसरे बच्चों की तुलना में असामान्य होता है और वे दूसरे बच्चों से अलग देखते, बोलते और महसूस करते हैं। चूंकि ऑटिज्म कोई बीमारी न होकर एक विकार है इसलिए इसे ठीक नहीं किया जा सकता यानि यह परेशानी पूरी उम्र बनी रह सकती है।
बच्चों में ऑटिज्म होने के कारण/ Causes for Autism in Hindi
ऑटिज्म होने की वास्तविक वजहों के बारे में फिलहाल कोई सटीक जानकारी मौजूद नहीं है पर कई शोधों में पता चला है कि गर्भ में पलने वाले शिशु पर पर्यावरण में मौजूद रसायनों से होने वाला संक्रमण तन्त्रिका तंत्र ( नर्वस सिस्टम) पर गहरा असर करता है, जो ऑटिज्म का कारण हो सकता है।
इसके अलावा कई टेस्ट से यह भी पता चलता है कि गर्भावस्था के दौरान मां के शरीर में थायरॉइड हारमोन की कमी, शिशु का तय समय से पहले जन्म लेना, गर्भ/प्रसव के समय शिशु को उचित मात्रा में ऑक्सीजन न मिलना या गर्भावस्था में मां को होने वाली बीमारी व पोषक तत्वों की कमी से भी ऑटिज्म हो सकता है।
ऑटिज्म के शुरूआती लक्षण/ Early Autism Signs & Symptoms
आमतौर पर ऑटिज्म के लक्षण कम उम्र में नहीं दिखते पर शिशु के जन्म के छह माह से एक वर्ष के अंदर ही उसके व्यवहार पर ध्यान देकर यह पता कर सकते हैं कि वह इससे पीड़ित है या नहीं, जैसे...
- शिशु 6 माह का हो जाने पर भी किलकारियां करता है या नहीं।
- साल भर का होते-होते शिशु ने मुस्कुराना/हंसना शुरू किया है या नहीं। वह किसी बात पर प्रतिक्रिया दे रहा है या नहीं।
- अगर शिशु का बर्ताव सीमित और दोहराव युक्त है, जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना तो यह ऑटिज्म के लक्षण हैं।
- शिशु में माता-पिता की बातों पर प्रतिक्रिया देना, दूसरों का ध्यान खींचने के लिए इशारे करना और एक शब्द से बातचीत करना जैसे बुनियादी लक्षण न दिखाई दें।
- शिशु को आंख से आंख मिलाने या नजर टिका पाने में कठिनाई हो।
- शिशु, माता-पिता और दूसरे लोगों की पहचान में अंतर न कर सके और लोगों के साथ ज्यादा घुल-मिल न सके।
- शिशु जज्बाती न हो और अपनी भावनाएं जाहिर न कर सके।
Parentune की सलाह है - यदि शिशु में यह लक्षण दिखाई दें तो माता-पिता को तुरंत किसी अच्छे मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
ऑटिज्म के प्रकार / Types of Autism
शिशु के जन्म के समय ऑटिज्म विकार का पता लग पाना मुमकिन नहीं होता लेकिन जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है, इस विकार के लक्षण साफ होने लगते हैं। ऑटिज्म विकार तीन तरह का होता हैः
- ऑटिस्टिक डिसऑर्डर (Classic Disorder): इस विकार से पीड़ित बच्चे आमतौर पर देरी से बोल-चाल शुरू करते हैं। उनका व्यवहार असामान्य होता है और उन्हें बौद्धिक समस्याएं भी होती हैं
- एस्पर्जर सिन्ड्रोम (Asperger Syndrome): इससे पीड़ित बच्चों में आमतौर पर ऑटिस्टिक डिसऑर्डर के भी कुछ लक्षण होते हैं। ऐसे बच्चों की रूचियां व व्यवहार असामान्य हो सकता है पर आमतौर पर इस केस में पीड़ित को भाषा या बौद्धिक समस्याएं नहीं होतीं।
- परवेसिव डेवलपमेंटल विकार (Pervasive Developmental Disorder): जिन बच्चों में ऊपरी दोनों विकार होते हैं, वह परवेसिव डेवलपमेंटल विकार से ग्रस्त हो सकता है। इस केस में केवल सामाजिक और बोल-चाल संबंधी परेशानियां आती हैं।
ऑटिज्म से संबंधित सभी सवालों का जवाब दे रही हैं हमारी एक्सपर्ट डॉ.हिमानी खन्ना
। वीडियो जरूर देखें.. जानिए ऑटिज्म के लक्षण व उपचार का उपाय
इनके अलावा भी ऑटिज्म विकार (Autism Disorder) के लक्षण कई तरह के हो सकते हैं। आमतौर पर इससे पीड़ित ज्यादातर लोगों में एक जैसे ही लक्षण दिखाई देते हैं पर जरूरी नहीं कि इनका असर सभी पर एक जैसा ही हो। कुछ पीड़ितों को सीखने-समझने में कठिनाई होती है, कुछ को दूसरी दिमागी परेशानियां हो सकती हैं या कोई अन्य समस्या भी हो सकती है पर इसके बावजूद भी ऑटिज्म से ग्रस्त बच्चे सीखते और विकास करते हैं। अगर उनकी परेशानी के मुताबिक सहयोग किया जाए तो इससे पीड़ित बच्चों की सामान्य जीवन जीने में मदद की जा सकती है।
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