पीसीओएस (PCOS) के बाद क्य ...
नमिता को पीसीओएस की दिक्कत है, यह बात उसे शादी से पहले ही पता थी। इसलिए उसने शादी के 3-4 महीने बीतने के बाद ही गायनोकोलॉजिस्ट से संपर्क किया और जानना चाहा कि क्या उसका मां बन पाना मुमकिन है। गायनोकोलॉजिस्ट से मिलने के बाद नमिता की सारी परेशानी दूर हो गई। नमिता को पता चला कि उसने समय रहते पीसीओएस का इलाज कराने की ओर जो कदम बढ़ाया है, इससे उसका मां बन पाना मुमकिन है। आज इस ब्लॉग में जानेंगे कि क्या और कैसे पीसीओएस के बाद मां बन पाना है मुमकिन।
पीसीओएस के बाद प्रेगनेंट होने में दिक्कत इसलिए आती है क्योंकि यह आपके मेन्सट्रूएशन साइकल को प्रभावित करता है। इसके लक्षण निम्न हो सकते हैं -
बहुत कम मेन्सट्रूअल पीरियड्स होना
समय से ज्यादा लंबा पीरियड्स होना
हेवी पीरियड्स होना
टेस्टोस्टेरॉन जैसे पुरुष हार्मोन का ज्यादा होना
एक्ने
फेशियल बाल और अन्य जगहों पर भी ज्यादा बाल होना
ओवरी में छोटे सिस्ट या फ्लूइड का होना
ओवरी से बहुत कम एग रिलीज होना
पीसीओएस के बाद मां बन पाना मुमकिन है, बस इसके लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। साथ ही डॉक्टर की सलाह पर अमल करना भी जरूरी है। आइए जानते हैं कि पीसीओएस के बाद कसी तरह से मां बन पाना मुमकिन है।
हेल्दी वजन मेंटेन करना - Maintain healthy weight : पीसीओएस को अक्सर मोटापे से जोड़ा जा सकता है। लेकिन कई महिलाओं का वजन ज्यादा नहीं रहता है, बावजूद इसके उन्हें पीसीओएस की समस्या रहती है। फिर भी यदि आपका वजन थोड़ा भी ज्यादा है, तो आप अपनी फर्टिलिटी और पीसीओएस के लक्षणों को कम कर सकती हैं। डॉक्टर की मदद से अपना वजन और बीएमआई चेक करा लेना चाहिए। इससे यह पता चलता है कि आपका वजन कितना अतिरिक्त है और आपको प्रेगनेंसी के लिए कितना कम करने की जरूरत है। इसके लिए अपने वजन का 5 प्रतिशत कम करने से भी मदद मिलती है। रोजाना एक्सरसाइज करना, हल्के वेट्स उठान, खड़े होकर काम करना, इन सबसे मदद मिल सकती है।
हेल्दी खाना - Healthy diet : प्रेगनेंसी के लिए जरूरी है सही पोषण मिले। मीठे फूड, सिम्पल कार्बोहाइड्रेट और अनहेल्दी फैट्स की जगह ताजे और अच्छी तरह से पके हुए फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए। ब्राउन राइस, ओट्स और बार्ली जैसे साबुत अनाज का सेवन सही है। इसके साथ ही बीन्स, दाल, चिक्कण, फिश का भी सेवन करने की सलाह दी जाती है। विटामिन बी9, विटामिन बी6, विटामिन बी12, विटामिन सी, विटामिन डी, विटामिन ई सप्लीमेंट भी डॉक्टर की सलाह पर लिए जा सकते हैं।
ब्लड शुगर स्तर का संतुलन - Balance in blood sugar level : कई बार प्रेगनेंसी में ब्लड शुगर स्तर भी समस्या खड़ा कर सकता है। पीसीओएस से हाई ब्लड शुगर या टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा राहत है, जो फर्टिलिटी में दिक्कत उत्पन्न कर सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पीसीओएस यह बदल सकता है कि आपका शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल कैसे कर रहा है। यह जरूरी हार्मोन खून से ग्लूकोज को मांसपेशियों और कोशिकाओं में ले जाता है, जहां इसे एनर्जी के लिए बर्न किया जाता है। पीसीओएस आपके शरीर को इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील बनाता है, जिससे उसके लिए अपना काम करना कठिन हो जाता है। ऐसे में ब्लड शुगर स्तर को संतुलित करने के लिए फाइबर, प्रोटीन और हेल्दी फैट्स मददगार हो सकते हैं। एक्सरसाइज से भी सहायता मिलती है। कुछ मामलों में डॉक्टर दवा भी दे सकते हैं।
दवाइयां - Medications : पीसीओएस होने पर संभव है कि आपका शरीर पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन और फ़ीमेल हार्मोन एस्ट्रोजेन, दोनों बना रहा हो। इससे प्रेगनेंसी में दिक्कत आ सकती है। आपके हार्मोन को संतुलित करने के लिए डॉक्टर दवाइयां दे सकता है। इंसुलिन स्तर, एस्ट्रोजेन स्तर, एस्ट्रोजेन और टेस्टोस्टेरॉन स्तर को संतुलित करने के लिए दवाइयां दी जा सकती हैं। ओवरी को अधिक एग भेजने के लिए फर्टिलिटी दवाइयां भी दी जा सकती हैं।
ओवूलेशन में मदद - Help in ovulation : ओवूलेशन कैलेंडर या ऐप की मदद से यह पता चलता है कि महीने के किन दिनों आपकी प्रेगनेंसी की ज्यादा संभावना है। ओवूलेशन की तारीख के बारे में डॉक्टर से पता लगाया जा सकता है। वैसे पीरियड्स शुरू होने को यदि पहले दिन के तौर पर लिया जाए, तो 12 से 14 दिन तक ओवूलेशन के चांसेज सबसे ज्यादा रहते हैं।
पीसीओएस के बाद मां बन पाना मुमकिन है। इसक एलिए संतुलित वजन, ब्लड शुगर स्तर का संतुलित होना और पीसीओएस के अन्य लक्षणों को हेल्दी लाइफस्टाइल बदलाव और दवाइयों से ठीक करना जरूरी है।
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