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अपने देश में रिश्तेदार के बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया क्या है?

Adoption

स्पर्धा रानी

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2 years ago

अपने देश में रिश्तेदार के बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया क्या है?
चिकित्सा

अपने देश में बच्चे को गोद लेना पहले की तुलना में आम हो गया है। अधिकतर लोग बच्चे को इसलिए गोद लेना चाहते हैं क्योंकि उनके अपने बच्चे नहीं होते हैं या वे किसी बच्चे को नई जिंदगी देना चाहते हैं। अपने देश में बच्चे को गोद लेने की बात जब आती है, तो रिश्तेदार के बच्चे को भी गोद में लेने को लोग इच्छुक रहते हैं। खासकर महामारी के दौर में अपने रिश्तेदार के बच्चे को गॉड लेने का चलन बढ़ा है, इसके पीछे के कारण चाहे जो भी रहे हों। अपने देश में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया कई कानूनों से होकर गुजरती है और यह सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (Central Adoption Resource Authority) यानी सीएआरए (CARA)की देख-रेख में किया जाता है। आज इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि अपने देश में रिश्तेदार के बच्चे को गोद लेने की क्या प्रक्रिया है। 

अपने देश में रिश्तेदार के बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया क्या है?/ Adoption Procedure for Intercountry Relative Adoption In Hindi 

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    • अपने देश में रिश्तेदार के बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया बिल्कुल वैसे ही है जैसे किसी अन्य बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया। 
       
    • इसके लिए भी चाइल्ड एडॉप्शन रिसोर्स इनफॉरमेशन (Child Adoption Resource Information) और गाइडेंस सिस्टम पर होने वाले माता-पिता को रजिस्टर करने की जरूरत पड़ती है। बस अंतर यह है कि सीएए होने वाले माता-पिता को अन्य बच्चों की प्रोफाइल नहीं प्रदान करता है। 
       
    • यही नहीं, बायोलॉजिकल माता-पिता की सहमति जरूरी है। यदि बच्चा चाइल्ड वेलफेयर कमिटी की कस्टडी में है, तो उनकी सहमति भी जरूरी है। 
       
    • यदि बच्चे की उम्र 5 से ऊपर है तो उसकी सहमति को भी रिकॉर्ड किया जाता है। 
       
    • इसके बाद गोद लेने वाले माता पिता को अपनी आर्थिक स्थिरता और सामाजिक स्थिति से संबंधित एफिडेविट देना पड़ता है। इसके बाद बच्चे को गोद लेने की अंतिम मंजूरी के लिए डीएम से संपर्क करने की जरूरत पड़ती है।  

    अपने देश में रिश्तेदार के बच्चे को गोद लेने की क्रमबद्ध प्रक्रिया 

    1. रजिस्ट्रेशन- होने वाले माता-पिता को स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी या किसी अन्य रिकॉग्नाइज इंडियन प्लेसमेंट एजेंसी में रजिस्ट्रेशन करने की जरूरत पड़ती है। इसके बाद होने वाले माता-पिता अपने क्षेत्र की एडॉप्शन कोऑर्डिनेशन एजेंसी के सोशल वर्कर से मिलकर पूरी प्रक्रिया को जान सकते हैं। 
       
    2. होम स्टडी और काउंसलिंग - रजिस्ट्रेशन एजेंसी के लिए काम करने वाले सोशल वर्क होम स्टडी के लिए होने वाले माता-पिता के घर विजिट करते हैं। एजेंसी होने वाले माता-पिता की काउंसलिंग सेशन भी लेती है ताकि उनके मोटिवेशन, तैयारी, मजबूती और कमजोरी को समझा जा सके। सीएआरए की रेगुलेशन के अनुसार रजिस्ट्रेशन की तारीख के 3 महीने के अंदर ही होम स्टडी का पूरा हो जाना जरूरी है।  होम स्टडी और काउंसलिंग सेशन के बाद जो निष्कर्ष निकलता है, उसे माननीय न्यायालय को रिपोर्ट किया जाता है। 
       
    3. डॉक्यूमेंट साइन- बच्चे को अपनाने के लिए होने वाले माता-पिता को कुछ डॉक्यूमेंट पर हस्ताक्षर करने की जरूरत भी पड़ती है। 
       
    4. पिटीशन साइन करना - इसके बाद सभी जरूरी दस्तावेज एक वकील को जमा किए जाते हैं, जो कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए पिटीशन की तैयारी करता है। पिटीशन के तैयार हो जाने पर होने वाले माता-पिता कोर्ट  जाते हैं और कोर्ट  ऑफिसर के सामने पिटीशन पर हस्ताक्षर करते हैं। 
       
    5. कोर्ट की हियरिंग - माता पिता को बच्चे के साथ कोर्ट में हियरिंग के लिए जाना होता है। यह हियरिंग एक जज के साथ बंद कमरे में होती है। जब माता-पिता से कुछ सवाल पूछ सकता है और उस राशि के बारे में बताता है, जिसे बच्चे के नाम पर निवेश करना है। 
       
    6. कोर्ट का आदेश -निवेश की रसीद दिखा देने के बाद जज बच्चे को गोद लेने से संबंधित आदेश पारित करता है। 
       
    7. फॉलोअप - बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद एजेंसी कोर्ट में बच्चे की कुशलता से संबंधित फॉलोअप रिपोर्ट जमा करती है। ऐसा लगातार 1 से 2 साल तक चलता रहता है।  

    अपने देश में है रिश्तेदार के बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया किसी अन्य अनाथ बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया जैसी ही है। बस ध्यान ये रखना है कि यदि रिश्तेदार का बच्चा अनाथ हो गया है तो उसे गोद लेने से पहले चाइल्ड वेलफेयर कमेटी से संपर्क करना जरूरी है। चाइल्ड वेलफेयर कमिटी ही बच्चे की बेहतरी को ध्यान में रखते हुए जरूरी कदम उठाती है।

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