डॉक्टर की दी गई Due Date पर कितना करें विश्वास

मां बनना भगवान की वो अनमोल भेंट है, जिसे हर शादीशुदा महिला पाना चाहती है। हालांकि प्रेग्नेंसी में स्वाभाविक घबराहट की वजह से कई बार महिलाएं भ्रांतियों को मानने पर मजबूर हो जाती हैं। हमारा सुझाव ये है कि डिलिवरी के लिए कभी सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास न करें और ना ही किसी धारणा पर आंख मूंदकर भरोसा करें। क्योंकि डिलिवरी में ज्यादा जल्दी और ज्यादा देरी दोनों ही बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से सही जानकारी लें और स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें।
गर्भावस्था के आखिरी सप्ताह में ड्यू डेट को लेकर इन बातों का ध्यान रखें / What To Do In The Last Week Of Pregnancy In Hindi
आपके प्रेग्नेंसी के सफर का ये सबसे आखिरी और महत्वपूर्ण पड़ाव होता है और इस समय में आपको कुछ विशेष सावधानियों को बरतने की आवश्यकता होती है।
- आपको ध्यान रखने की जरूरत है कि डिलिवरी के लिए डॉक्टर की ओर से दिए गए समय का पालन करना सबसे जरूरी है।
- प्री-मैच्योर डिलिवरी से बच्चे को दिक्कत आती है, इसलिए डॉक्टर से सलाह लेकर इस तरह की डिलिवरी से बचें।
- तय समय के काफी समय बाद भी अगर डिलिवरी नहीं हो रही है, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
क्यों जरूरी है डॉक्टर की दी हुई तारीख पर विश्वास करना / How Accurate Are Due Dates In Hindi
दरअसल प्रेग्नेंसी में डॉक्टर की ओर से डिलिवरी की दी गई तारीख पर भरोसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि समय से पहले यानी प्री-मैच्योर डिलिवरी और ज्यादा देरी से डिलिवरी दोनों ही स्थिति में बच्चे की जान को खतरा रहता है।
1. क्या हैं प्री-मैच्योर डिलीवरी के नुकसान-
दरअसल समय से पहले प्रसव यानि कि 24 हफ्ते से लेकर 37 हफ्ते के बीच जन्म लेने वाले बच्चे पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते, ज्यादातर मामलों में ऐसे बच्चों की मृत्यु हो जाती है या फिर जो बचते हैं उनमें शारीरिक व मानसिक तौर पर अक्षम होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में अगर आप डॉक्टर की दी गई तारीख को फॉलो करते हुए उससे सलाह लेते रहेंगे, तो वह आपको ऐसी स्थिति में नहीं आने देंगे।
2. क्या हैं देरी के नुकसान
एशियाई महिलाओं की औसत या मध्य गर्भावधि समय 39 सप्ताह मानी गई है। 42 हफ्ते से अधिक चलने वाली गर्भावस्था को दीर्घकालीन गर्भावस्था कहा जाता है। बहुत से हॉस्पिटलों का नियम होता है कि वे 40 हफ्ते की गर्भावस्था के बाद प्रसव पीड़ा प्रेरित करने का निर्णय लेते हैं।
अगर गर्भवस्था नियमित तारीख से काफी आगे तक जारी रहती है, तो डॉक्टर भी परेशान होते हैं। दरअसल 42 हफ्ते की गर्भावस्था के बाद गर्भ में रहने वाले कुछ शिशुओं की अंदर ही मौत हो जाती है। हालांकि बहुत कम ऐसे केस देखने को मिलते हैं।
अगर गर्भावस्था के 41 हफ्ते के बाद भी शिशु का जन्म नहीं हुआ है, तो आपको प्रसवपूर्व जांच के लिए डॉक्टर से मिलना चाहिए। कुछ डॉक्टर तय तिथि गुजरने के 7 से 10 दिन के बाद प्रसव पीड़ा पैदा कर देते हैं, वहीं कुछ डॉक्टर दो सप्ताह तक इंतजार करने को भी कहते हैं। डॉक्टर वही सलाह देंगे, जो आपके और आपके बच्चे के लिए बेहतर होगा। डॉक्टर आपको ये भी समझाएगा अगर प्राकृतिक प्रसव पीड़ा शुरू होने का इंतजार किया, तो क्या होगा।
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