क्या हैं स्तनपान कराने के ...
आजकल लोग वापस प्राकृतिक चीज़ों को तवज्जो देने लगे हैं, इसलिए स्तनपान को लेकर जागरुकता भी बढ़ी है। बच्चे को कब तक ब्रेस्टफ़ीडिंग करानी है ये मां का फ़ैसला होना चाहिए, लकिन मांओं को भी ये फ़ैसला कुछ ज़रूरी बातों को ध्यान में रख कर लेना चाहिए। ब्रेस्टफ़ीडिंग की बात करें, तो इसे लेकर लोगों के मन में कई भ्रांतियां होती हैं। उदाहरण स्वरूप, कई औरतों को लगता है कि इससे उनके शरीर का आकार ख़राब हो सकता है. [जरूर जानें - इन 10 आहार से स्तनपान कराने वाली मां को सदैव बचना चाहिए]
इस ब्लॉग में स्तनपान के फ़ायदों के बारे में बताया गया है स्तनपान के बच्चों के लिए ही नहीं, मां के लिए भी कई शारीरिक और मानसिक फ़ायदे होते हैं। आज हम आपको इन्हीं फ़ायदों के बारे में बता रहे हैं।
स्तनपान से ना सिर्फ शिशु को फायदा होता है बल्कि मां को भी इसके कई लाभ मिलते हैं।
मां के दूध में मौजूद Colostrum, ज़िंक, कैल्शियम और विटामिन्स से भरा होता है. ये लैक्सेटिव के तौर पर काम करता है, जिससे बच्चे को पहला मल होता है. यदि ये ठीक से न हो, तो बच्चे को पीलिया होने का ख़तरा रहता है. ये बच्चे की अन्य कई रोगों से भी रक्षा करता है.
बच्चे के बड़े होने के साथ उसके शरीर की ज़रूरतें बदलती हैं, मां के दूध में इन ज़रूरतों के हिसाब से तत्व मौजूद होते हैं. मां के दूध का तापमान भी बच्चे के लिए एकदम सही होता है. मां का दूध पी रहे बच्चे को और कोई भी चीज़ देने की ज़रूरत नहीं पड़ती.
बच्चे को बोतल से दूध पिलाने से उसे पूरी तरह स्वच्छ दूध नहीं मिल पाता. ब्रेस्टफ़ीड करने से मां को भी दूध को उबालने, बोतल को धोने, स्टरलाइज़ करने जैसे काम नहीं करने पड़ते. ब्रेस्टफ़ीडिंग से बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
ब्रेस्टफ़ीडिंग करा रही महिलाओं को प्रेगनेंसी होने की कम सम्भावना होती है. ये उनके पीरियड्स के बीच के अंतर को बढ़ा देता है, जिससे बच्चों के बीच अंतर बना रहता है.
ब्रेस्टफ़ीड कराने वाली मां दूध पिलाते हुए एक दिन में 400 कैलोरी तक इस्तेमाल करती है. इससे स्तन ढीले होते हैं, ये एक मिथक है. दूध पिलाने के समय गर्भाशय सिकुड़ता है, जिससे उसे अपने सामान्य आकार में आने में मदद मिलती है।
बच्चे के जन्म देने की प्रक्रिया के दौरान मां के शरीर को बहुत दर्द और घाव से गुजरना होता है। स्तनपान कराने से ये घाव जल्दी से भरते हैं और मां को सामान्य स्थिति में लाने में मदद करते हैं। [जरूर जानें - हल्दी सेवन के स्तनपान कराने वाली महिलाओं के फायदे]
स्तनपान से लिम्फ नोड्स (Lymph nodes) स्तन के अन्य घटकों के साथ सक्रिय हो जाते हैं। ये स्तनपान के खतरे को कम कर देते हैं। रिसर्च के मुताबिक जो मां अपने बच्चे को स्तनपान नहीं कराती हैं उन्हें स्तनपान कराने वाली मां के मुकाबले ब्रीस्ट कैंसर होने का ज्यादा खतरा बना होता है।
स्तनपान कराने से मां और बच्चे के बीच का रिश्ता मजबूत तो होता ही है इसके अलावा उनके बीच सामंजस्य भी अच्छा बन जाता है।
स्तनपान कराने का एक महत्वपूर्ण फायदा ये है कि इससे हार्मोन का संतुलन बना रहता है। कील-महुांसों का खतरा भी कम हो जाता है। हार्मोन के संतुलित रहने से मां अपनी दिनचर्या के कामों को और अधिक ऊर्जा के साथ कर पाती हैं।
जैसा कि हमने आपको जानकारी दी कि स्तनपान कराने से कैलोरी कम होती होती है और ऐसे में स्वाभाविक है कि वजन बढ़ने की प्रक्रिया भी धीमी हो जाती है। जो मां स्तनपान कराती हैं वे अपने वजन को कंट्रोल कर सकती हैं।
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