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गर्भ में शिशु की हार्ट सर्जरी सफल : प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे की सेहत को लेकर किन बातों का रखें ध्यान?

Pregnancy

Prasoon Pankaj

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2 years ago

गर्भ में शिशु की हार्ट सर्जरी सफल : प्रेग्नेंसी के दौरान बच्चे की सेहत को लेकर किन बातों का रखें ध्यान?
जन्म- डिलीवरी
गर्भावस्था के दौरान जोखिम
हार्मोन में बदलाव
पुन: उपयोग व रिसाइकल
जलवायु परिवर्तन

गर्भ में पल रहे शिशु के हृदय का ऑपरेशन…जी हां…भले आपको ये अविश्वसनीय लग रहा हो लेकिन इस नामुमकिन को मुमकिन करके दिखा दिया है AIIMS के डॉक्टरों ने। 90 सेकेंड यानि कि कुल डेढ़ मिनट के इस अंतराल में शिशु के हार्ट की सर्जरी हो गई। हम आपको इस ब्लॉग में विस्तार से जानकारी देने जा रहे हैं कि गर्भ में पल रहे शिशु के हार्ट की सर्जरी कैसे की गई और इसके साथ ही हम आपको ये भी बताएंगे कि गर्भावस्था के दौरान आपको किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए जो आपके शिशु को सेहतमंद बना कर रख सकते हैं।

AIIMS के डॉक्टरों के द्वारा गर्भ में पल रहे शिशु के हार्ट की सफल सर्जरी

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    लगभग 28 हफ्ते के भ्रूण के हृदय का आकार कितना हो सकता है? जवाब है अंगूर के आकार के समान। डॉक्टरों के लिए भी ये एक बड़ी चुनौती थी। AIIMS के डॉक्टरों ने सूई की मदद से दिल का वॉल्व खोला और मात्र 90 सेकेंड में सफल ऑपरेशन को करके दिखा दिया। बताया जाता है कि शिशु के दिल का वॉल्व बंद था और डॉक्टरों ने बैलून डाइलेशन प्रक्रिया से सर्जरी करके बंद वॉल्व को खोल दिया। हम आपको इसी ब्लॉग में आगे बैलून डाइलेशन प्रक्रिया के बारे में भी विस्तार से जानकारी देंगे।  मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों सुरक्षित बताए जा रहे हैं। AIIMS के कार्डियोथोरासिक साइंस सेंटर में किए गए इस सफल ऑपरेशन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रशंसा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उन्हें अपने देश के डॉक्टरों पर गर्व है।

    गर्भ में पल रहे शिशु को क्या समस्या थी?

    28 साल की महिला को एम्स में भर्ती कराया गया था। पिछली तीन प्रेग्नेंसी सफल नहीं रही थी और जाहिर है कि इन परिस्थितियों में पूरा परिवार चिंतित था। डॉक्टरों ने गर्भ में पल रहे शिशु के हृदय की स्थिति के बारे में पेरेंट्स को अवगत कराया कि उसका वाल्व बंद है। डॉक्टरों ने सुझाव दिया कि ऑपरेशन करने से हार्ट का वाल्व खुल सकता है। पेरेंट्स ने डॉक्टरों के प्रस्ताव को मान लिया और उसके बाद ऑपरेशन की प्रक्रिया को शुरू किया गया। एम्स के डॉक्टरों की टीम ने बताया कि जब बच्चा मां के गर्भ में होता है उस दौरान भी कुछ गंभीर तरीकों के हार्ट से संबंधित बीमारियों के बारे में पता लगाया जा सकता है। इसके अलावा डॉक्टरों ने ये भी जानकारी दी है कि अगर इस तरह की समस्याओं को गर्भ में ही ठीक कर दिया जाए तो जन्म के बाद बच्चे का स्वास्थ्य ज्यादा बेहतर होने की संभावनाएं बढ़ जाती है और बच्चे का विकास भी सामान्य बच्चों की तरह होता है। 

    क्या होती है बैलून डाइलेशन प्रक्रिया?

    जैसा कि आपने अब तक ये तो जान लिया होगा कि गर्भ में पल रहे इस शिशु के हार्ट की सर्जरी बैलून डाइलेशन प्रक्रिया के तहत हुई है। डॉक्टरों के मुताबिक जिस प्रक्रिया के तहत सर्जरी की गई है उसका नाम बैलून डाइलेशन है। ये प्रक्रिया अल्ट्रासाउंड गाइडेंस के तहत किया जाता है। मां के पेट से बच्चे के दिल में एक सूई डाली गई और फिर बैलून कैथेटर की मदद से बंद वाल्व को खोला गया ताकि शरीर में रक्त संचरण बेहतर तरीके से हो सके। डॉक्टरों का अनुमान है कि इस सर्जरी को किए जाने के बाद बच्चे का हृदय अच्छे तरीके से विकसित हो पाएगा और जन्म के बाद दिल से संबंधित बीमारियों के होने का खतरा कम रहेगा। हालांकि इसके साथ ही डॉक्टरों ने ये भी बताया कि इस तरह के ऑपरेशन के दौरान अत्यधिक सावधानियां बरतने की जरूरत होती है। इस ऑपरेशन के दौरान टाइमिंग का खास ख्याल रखा जाता है क्योंकि ये पूरी प्रक्रिया अलट्रासाउंड गाइडेंस के तहत की जाती है और इसलिए इसको जल्दी करना होता है। ज्यादा समय लगने या किसी प्रकार की चूक जानलेवा भी साबित हो सकता है। एम्स के डॉक्टरों ने इसका पूरा ध्यान रखा और ये पूरी प्रक्रिया 90 सेकेंड में पूरी कर ली गई। 

    गर्भावस्था के दौरान पेट में पल रहे शिशु के अच्छे सेहत के लिए मां को किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?

    JAMA पीडिऐट्रिक्स नाम के जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक प्रेग्नेंसी के दौरान मां अगर बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेती है तो उसका सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क पर होता है।

    • प्रेग्नेंसी के दौरान किसी प्रकार का डिप्रेशन या चिंता करने से बच्चे के मस्तिष्क का सही तरीके से विकास होने में बाधा उत्पन्न हो सकते हैं।

    • प्रेग्नेंसी के दौरान स्ट्रेस या तनाव रखने से शिशु को गंभीर हार्ट समस्याएं हो सकते हैं।

    •  congenital heart disease CHD यानी जन्मजात दिल की बीमारी होने के मुख्य कारणों में से एक मां का स्ट्रेस में होना भी है

    • स्टडी के मुताबिक 65 प्रतिशत प्रेग्नेंट महिलाएं जो स्ट्रेस के लिए पॉजिटिव पायी गईं उनके होने वाले बच्चे में CHD बीमारी के लक्षण नजर आए।

    • एक्सपर्ट बताते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करें

    • स्वस्थ रहें और इसके लिए सबसे जरूरी है कि आप पौष्टिकता से भरपूर भोजन ग्रहण करें

    • शारीरिक रूप से खुद को सक्रिय बनाए रखें

    अगर आप मां बनने वाली हैं तो इस समय में आपको चाहिए कि किसी प्रकार का अनावश्यक चिंता नहीं करें। अपने होने वाले बच्चे की सेहत को ध्यान में रखते हुए खुश रहने का प्रयास करें। इस काम में आपके पार्टनर और परिवार के सदस्य आपकी मदद कर सकते हैं।

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