जानें शिशु अपनी माँ के गर ...
गर्भावस्था किसी भी महिला के लिए जिंदगी का सबसे खुशनुमा पल होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान वे अपने पेट में पल रहे शिशु को लेकर तमाम तरह की कल्पनाएं करती हैं। इस दौरान गर्भवती व पेट में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य के लिए डॉक्टर विशेष सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं। लेकिन इस सबके बीच में एक कौतुहल आपके मन में उठता होगा, आप ये जानने को जरूर इच्छुक रहती होंगी कि आखिर आपके पेट में पल रहा शिशु गर्भ के अंदर क्या कर रहा है? बड़े-बुजुर्गों के मुताबिक गर्भ के अंदर पलने वाला शिशु बहुत कुछ सीखता भी है। ऐसे में जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं अपनी दिनचर्या, व्यवहार व अन्य चीजों पर भी ध्यान दें, ताकि गर्भ में पल रहा बच्चा अच्छी चीजें सीख सके। इस ब्लॉग में हम बात करेंगे कि आखिर बच्चा गर्भ में क्या-क्या करता है?
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक महाभारत में अभिमन्यू का किरदार तो आपको जरूर याद होगा। महाभारत का युद्ध चल रहा था और अर्जुन किसी दूसरे छोड़ पर लड़ाई लड़ रहे थे। उस समय में कौरवों की तरफ से चक्रव्यूह की रचना की गई। इस चक्रव्यूह को भेदने की युद्धकौशल में सिर्फ अर्जुन दक्ष थे और चिंता की बात ये थी कि अर्जुन उस समय में वहां मौजूद नहीं थे। अर्जुन के बेटे अभिमन्यू ने उस समय में कहा कि उनको चक्रव्यूह भेदने की कला आती है। अभिमन्यू के इस दावे पर पांडव पक्ष अचरज में पड़ गए तब अभिमन्यू ने कहा कि वे जब अपनी मां के गर्भ में थे उस समय में उन्होंने चक्रव्यूह भेदने की कला अपने पिता से सुन लिया था। अभिमन्यू ने इस कला को अपने मां के गर्भ में ही सीख लिया लेकिन जब अर्जुन चक्रव्यूह से बाहर निकलने के बारे में बता रहे थे तब उनकी मां सुभद्र को नींद आ गई इसलिए वे चक्रव्यूह से बाहर निकलने की कला को सीख नहीं पाए।
वैज्ञानिक भी इस बात को मानते हैं कि बच्चे में खान-पान, स्वाद, आवाज, बोलने जैसी चीजें सिखने की नींव मां के गर्भ में ही पड़ जाती है। आइए जानते हैं कि बच्चा क्या सीखता है।
उत्तरी आयरलैंड की राजधानी बेलफास्ट की यूनिवर्सिटी के पीटर हेपर ने इस संदर्भ में बहुत शोध किया। पीटर हेपर ने अपने रिसर्च में पाया कि जो प्रेग्नेंट महिलाएं गर्भावस्था के दौरान लहसुन खाती थीं उनके बच्चों को भी लहसुन खूब पसंद था। पीटर हेपर के मुताबिक गर्भ के दसवें हफ्ते से भ्रूण मां के खून से मिलने वाले पोषक तत्वों को निगलने लगता है। हेपर कहते हैं कि उस समय से ही उसे अपनी मां के स्वाद के बारे में अनुभव होने लगता है। यानि कि ये रिसर्च भी बताते हैं कि मां की आदतों, व्यवहार, बोल-चाल, रहन-सहन को गर्भ के अंदर पलने वाला शिशु काफी बारीकी से सीखने और अनुभव करने का प्रयास करता है।
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