IVF के बाद गर्भपात की संभ ...
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नि:संतान दंपत्तियों के लिए वरदान के समान है IVF तकनीक। IVF की मदद से संतानहीन पति-पत्नी को भी संतान का सुख प्राप्त हो रहा है। लेकिन इसके साथ ही IVF ट्रीटमेंट के दौरान आपको अत्यधिक सावधानियां बरतने की भी आवश्यकता है नहीं तो गर्भपात (miscarriage) होने का भी खतरा हो सकता है। इस ब्लॉग में हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं कि IVF के दौरान आपको किन जरूरी बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए?
कुछ महिलाएं के लिए प्राकृतिक तरीके गर्भधारण करना सरल होता, तो कुछ के लिए गर्भवती होने की राह कंटीली होती है। कह सकते हैं लाख कोशिशों के बावजूद निराशा ही हाथ लगती है। ऐसे में बहुतेरी महिलाएं गर्भधारण के लिए आईवीएफ को अपनाती हैं। हालांकि, गर्भावस्था में होने वाले गर्भपात की तुलना में आईवीएफ या इन विट्रो निषेचन में गर्भपात का अधिक जोखिम हो सकता है। आईवीएफ के बाद गर्भपात के जोखिम को बहुत से टिप्स अपनाकर कम किया जा सकता है। इन पर आंखमूंद कर विश्वास करें और अमल में लाएं। फिर देखें आईवीएफ से गर्भपात का खतरा टल जाएगा और आपकी गोद में आएंगी खुशी की किलकारियां।
1. प्रोजेस्टेरोन सही मात्रा में लें /Take Progesterone in the Right Amount
गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन की नियमित खुराक डॉक्टर की सलाह से लें। ये खुराक गोलियों, जैल या इंजेक्शन के रूप में आती है। हालांकि देखा गया है कि प्रोजेस्टेरोन को योनि से लेने से न केवल बेहतर अवशोषित होता है, बल्कि यह मतली को भी रोकता है।
2. टीएसएच स्तर की जांच करवाएं/Get TSH Levels Checked
कुछ अध्ययनों ने खून में टीएसएच के असामान्य स्तर और गर्भपात और गर्भाधान से संबंधित अन्य समस्याओं के बीच संबंध दिखाया है। बेहतर होगा कि आप आईवीएफ का विकल्प चुनने से पहले अपने टीएसएच स्तरों की जांच करवा लें।
3. हिस्टेरोस्कोपी करवाएं / Have a hysteroscopy
आईवीएफ का विकल्प चुनने से पहले आप हिस्टेरोस्कोपी करवाएं। कारण गर्भाशय की विभिन्न समस्याएं आपके गर्भधारण की संभावनाओं को प्रभावित कर सकती हैं। पहले हिस्टेरोस्कोपी करवाने से गर्भपात का खतरा कम हो जाता है और गर्भाधान की संभावना में सुधार होता है।
4. पूरी तरह से खून की जांच करवाएं / Get a thorough blood test
यह महत्वपूर्ण है कि आप किसी भी रक्त विकार की जांच के लिए रक्त परीक्षण करवाएं। थक्के और गाढ़ा रक्त जैसे रक्त विकार भ्रूण के रक्त परिसंचरण में बाधा डाल सकता है। साथ ही यह गर्भपात की संभावना को बढ़ा सकते हैं। उचित दवा आपको रक्त संबंधी बीमारियों से निपटने में मदद कर सकती है।
5. जीवनशैली पर ध्यान दें / Focus on lifestyle
बहुत जरूरी है कि आईवीएफ का चयन करने से पहले उपचार आप अपनी जीवनशैली का ध्यान दें। यदि आप अधिक वजन वाले हैं तो वजन कम करना, धूम्रपान और शराब पीने से परहेज करना और गैर-निर्धारित दवा से परहेज करें। जीवनशैली सुधारने से गर्भपात की संभावना को कम किया जा सकता है।
6. नियमित रूप से दवाएं लें /Take medicines regularly
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आप आईवीएफ के बाद अपनी दवाएं नियमित रूप से लें। एक भी खुराक लेने से न चूकें। कुछ मामलों में एक भी खुराक न लेने से गर्भपात हो सकता है। विभिन्न दवाओं के प्रशासन और उनके उचित अंतराल के बारे में अपने चिकित्सक से स्पष्ट संकेत प्राप्त करें।
7. संक्रमणों से दूर रहें / Stay away from infections
एसटीडी, टोक्सोप्लाज्मोसिस, लिस्टेरिया और इस तरह के अन्य संक्रमणों से गर्भपात की संभावना बढ़ सकती है। एमएमआर शॉट लेने से आपको विभिन्न संक्रमणों से लड़ने में मदद मिल सकती है। अगर आपने एमएमआर शॉट नहीं लिया है तो अपने डॉक्टर से बात करें।
8.गर्भाशय ग्रीवा का ख्याल रखें / Stay away from infections
कभी-कभी प्रजनन उपचार आपके गर्भाशय ग्रीवा पर भारी पड़ सकता है। इस प्रकार प्रारंभिक गर्भावस्था के दौरान इसके खुलने की संभावना अधिक हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप गर्भपात हो सकता है। सर्वाइकल स्टिच आपके गर्भपात की संभावना को कम करने में मदद कर सकता है। आप सर्वाइकल स्टिच करवाने के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर सकती हैं। अगर आपको पहले किसी अन्य सर्वाइकल जटिलताओं का अनुभव हुआ है, तो इसे अपने डॉक्टर के ध्यान में लाएं।
9. आयु 42 वर्ष से अधिक है, तो डोनर एग के लिए जाएं / If age is above 42 years then go for donor egg
आप गर्भवती होना चाहती हैं और अधिक उम्र की हैं, तो आपको डोनर अंडे को लेना पड़ सकता है। यदि आप 42 वर्ष या उससे अधिक हैं, तो गर्भपात की दर 50 प्रतिशत तक अधिक है, आपके अपने अंडे के साथ जीवित जन्म दर केवल 10-15 प्रतिशत हो सकती है, और आपके बच्चे को गुणसूत्र संबंधी असामान्यताएं होने का उच्च जोखिम हो सकता है। एक डोनर एग इन तीनों समस्याओं का ख्याल रखता है।
10 सकारात्मक सोचें / Always think positive
जैसा आप विचार करते हैं, उसी के अनुरूप शरीर ढलता है। फिर चाहे आप लाख अच्छी खुराक लें या अच्छे से अच्छे डॉक्टर से इलाज करवाएं। गर्भपात के खतरे को टालने के लिए डॉक्टर की हर सलाह का पालन करें। साथ ही खुश रहें। इसके लिए आप घर में सकारात्मक माहौल बनाएं। पॉजिटीविटी का असर आपके गर्भस्थ शिशु पर पड़ेगा।
भारी सामान उठाने से बचें- जब तक IVF ट्रीटमेंट चल रहा है तबतक आपको किसी प्रकार का भारी सामान जैसे कि सूटकेस, बैग, गैस सिलेंडर इत्यादि को नहीं उठाना चाहिए क्योंकि इसके चलते भी गर्भपात होने का खतरा हो सकता है। इसको आप ऐसे समझने का प्रयास करें कि जब हम किसी प्रकार का भारी सामान उठाते हैं तो सबसे ज्यादा जोर पेट पर ही लगता है। ऐसे में आईवीएफ प्रक्रिया पर भी असर पड़ता है और गर्भपात हो सकता है। इसलिए आईवीएफ के बाद सावधानी बरतना बहुत ही जरूरी होता है।
संभोग से दूरी- आईवीएफ ट्रीटमेंट के बाद संभोग करने से भी बचना चाहिए नहीं तो वैजाइनल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। वैजाइनल इन्फेक्शन के कारण गर्भपात की संभावना भी बढ़ जाती है।
कड़ी मेहनत वाले व्यायाम न करें- आईवीएफ प्रक्रिया के बाद महिला को ज्यादा मेहनत वाला व्यायाम करने से बचना चाहिए। जॉगिंग या कड़ी मेहनत वाली एक्सरसाइज की जगह बेहतर होगा कि हल्के व्यायाम करें
धूम्रपान से दूरी बना लें- IVF ट्रीटमेंट के दौरान आपको धूम्रपान नहीं करनी चाहिए। धूम्रपान के माध्यम से आपके शरीर में विषाक्त पदार्थ प्रवेश कर सकते हैं जिसके चलते गर्भावस्था प्रभावित हो सकता है। धूम्रपान के दौरान धुआं गर्भाशय की भीतरी सतह को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
आईवीएफ की प्रक्रिया काफी जटिल होते हैं और इस दौरान कई इंजेक्शन भी लगाए जाते हैं और इसके अलावा दवाओं का भी सेवन करना पड़ता है। डॉक्टर के परामर्श के मुताबिक समय पर दवाएं लेते रहें। इन दवाओं या इंजेक्शन के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं
आईवीएफ इंजेक्शन - ट्रीटमेंट के दौरान लगाए जा रहे इंजेक्शन के चलते सूजन, ओवरी हाइपरस्टिमुलेशन और एक्टोपिक प्रेग्नेंसी हो सकते हैं। इसके अलावा चिड़चिड़ापन, गर्मी लगना, सिरदर्द या मतली की समस्याएं हो सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि किसी प्रकार की समस्या होने पर अपने डॉक्टर के परामर्श के मुताबिक ही दवा का सेवन करें।
ये भी संभव है कि ivf ट्रीटमेंट के दौरान वजन में इजाफा हो जाए और आपकी भूख पर भी असर दिख सकता है। पेट फूलना, कब्ज या दस्त की समस्या हो सकते हैं इसलिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं और फाइबर युक्त खाना खाएं ताकि पाचन की समस्या ना रहे।
हार्मोंस में आए बदलाव के चलते आप भावुक भी हो सकते हैं। इस दौरान अनावश्यक बातों के बारे में विचार ना करें और खुद को तनावमुक्त रखें। उस काम को करें जिसको करने में आपको आनंद की अनुभूति होती हो।
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