कामकाजी माँ-बाप के लिए शि ...
मैं एक प्यारी सी ढाई साल की बेटी की माँ हूँ। कार्पोरेट सैक्टर में काम करते हुये मुझे छः साल से ज्यादा हो चुके हैं और मेरे पति को 12 साल का समय हो चुका है। प्रसव के बाद, जब मेरी बेटी महज् 5 महीने थी तो मैंने भी उन सारी तोहमतों, जो एक कामकाजी औरत झेलती है, के साथ दुबारा काम करना शुरू कर दिया था। तब से लेकर आज तक मेरे भीतर इस बात को लेकर खींच-तान चल रही है कि सप्ताह में 5 दिन और रोज 10 घण्टे तक अपनी बेटी को खुद से दूर घर पर छोड़ देना सही है या गलत। हालांकि, मैं खुद यह महसूस करती हूँ कि अगर इसे एक अलग नज़रिये से देखा जाए तो इसमें बहुत सी अच्छाईयां भी हैं जो अपने-आप को कसूरवार मानने वाली सोच पर भारी पड़ती हैं।
मेरे ये सुझाव और सलाह उन सभी कामकाजी लोगों के काम आ सकते हैं जो घर पर रहकर अपने माता-पिता होने के किरदार को न निभा पाने की वजह से खुद को कसूरवार मानते हैं।
1) शिशु को समय की अच्छी जानकारी हो जाती हैः यहाँ तक कि एक छः महीने की शिशु - मेरी बेटी ऐना भी मेरे घर वापस आने का समय जानती है और अगर मैं इस समय तक वापस नहीं आती तो वह बेचैन होने लगती है। उसे मेरे वापस आने का समय पता है, इस बात का अहसास मुझे हैरान कर देता है।
अब वह प्लेस्कूल जाने लगी है, जिसे वह अपना आॅफिस कहती है और जब टीचर कहती है कि ‘अब हम सोमवार को मिलेंगे’ तो वह जान लेती है कि आज शुक्रवार है। जब मैं घर लौटती हूँ तो वो मुझे बताती है कि अगले दो दिनों तक शनिवार है फिर इतवार है और उसके पापा, मम्मी और ऐना की छुटटी है। यह उसके टी.जी.आई.एफ. (Thank God! It's Friday) कहने का मासूमियत भरा और सबसे प्यारा ढंग है। वह जानती है कि उसके लिए भी कुछ कायदे है जो उसे समझने हैं और उनका पालन भी करना है।
2) अपने आस-पास लोगों का होना पंसद करती हैः यह थोड़ा मुश्किलभरा हो सकता है क्योंकि इसे करने लिए माता-पिता को आगे बढ़कर यह तय करना है कि शिशु के आस-पास वो लोग हों जिनके साथ वह सहज् महसूस करती है। ऐना को उसके दादा-दादी के साथ नाना-नानी का प्यार और दुलार भी मिलता है और इस तरह यह हम सभी इस बात का ध्यान रखते हैं कि उसे अकेलापन महसूस न हो। साथ ही, मैंने और मेरे पति ने अपने आॅफिस जाने को लेकर भी एक इंतजाम किया है। जरूरत के मुताबिक हम में से जो भी आॅफिस जाने के लिये जल्दी के निकलता है वह घर जल्दी वापस लौटता है और घर पर रहने वाला शख़्स देर से आॅफिस के लिये निकलता है जिससे इसमें संतुलन बना रहे।
ऐना जानती है कि उसे किसके साथ किस तरह से पेश आना है। हम में से हर किसी के साथ खेलने के लिए उसके अपने खेल हैं और सभी के साथ खेलने का समय भी। हम सभी के उसके साथ बोलने
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