क्या हैं 10 संकेत शिशु के पहला शब्द बोलने के?

जैसे ही आपका शिशु 1 साल का होता है तो उसके कुछ खास लक्षणों से आप यह जान सकते हैं कि वह अपना पहला और अनजाना सा शब्द बोलने के बहुत करीब है (शायद-‘मम्मा’!)। अगर आप इन लक्षणों को पहचान लें तो यह शिशु के बोलना सीखने की कोशिश के दौरान उसका साथ देने में काफी मददगार होगा, आखिरकार, बोलना सीखना शिशु के लिये एक नई कामयाबी हासिल करने जैसा होता है। [इसे भी जानें: आपका शिशु कब बोलने लगेगा?]
माता-पिता का लगातार उसका हौसला बढ़ाना, बेशक शिशु को बोलने के लिये अपना पहला शब्द बनाने में बहुत काम आता है- जो वह लगभग 18 महीने का हो जाने पर बोलता है। हमारी ब्लागर सुगंधा तिवारी आपको उन 10 संकेतों के बारे बतायेंगी जो इस बात को पुख्ता करेंगे कि शिशु के बोलना सीखने की मुहिम सही राह पर है।
शिशु के एक से तीन साल का होने तक आप दो चीजों में बड़ा बदलाव का महसूस करेंगी- पहला, शिशु किस तरह अपने को जाहिर करता है और दूसरा, वह किसी बात पर क्या प्रतिक्रिया देता है। यहाँ यह जानना जरूरी है कि भाषा को ‘समझने’ की काबलियत ज्यादा तेजी से बढ़ती है बजाय भाषा ‘बोलने’ के। यहाँ यह जानना भी जरूरी है हर बच्चे के बढ़ने और समझ-बूझ हासिल करने की रफ्तार अलग-अलग होती है-
कुछ अपनी उम्र के हिसाब से जल्दी सीखते हैं और कुछ को इसमें समय लगता है।
शिशु के भाषा विकास के 10 संकेत/ Newborn's Language Signs
तो ये रहे वो 10 संकेत जो आपके बच्चे में भाषा की समझ-बूझ के बढ़ने को दर्शाते हैं। साथ ही नीचे दिये गये संकेतों से आप सीधे तौर पर यह जान पायेंगी कि शिशु के बोलना सीखने की काबलियत बढ़ रही है।
- दो शब्द वाले वाक्य बोलता है और खुद बनाये हुये शब्दों का इस्तेमाल करता है
- आसान शब्दों में दिये गये निर्देश को समझ लेता है जैसे ‘बाॅल फेंको’
- कम तीव्रता की आवाज पर प्रतिक्रिया देता है
- खेलते समय खुद से या दूसरों से लगातार बात करता करता है
- उन खिलौंनों में दिलचस्पी दिखाता है जिनसे आवाज आती है
- दो-तीन शब्द वाले वाक्यों की नकल करता है
- अपने अंगो की ओर इशारा करता है जैसे - आंख, नाक, कान
- आवाज आने वाली जगह की ओर ध्यान ले जाता है
इसे भी जानें: बोलना सीखने में बच्चे की मदद कैसे करें?
- 3-4 शब्दों वाले वाक्य बोलना शुरू कर देता है
- साधारण वाक्य जैसे ‘चलो खेलते हैं’ या ‘ऊपर देखो’ को समझने लगता है
हाँ, आस-पास का माहौल शिशु के बोलना सीखने पर असर करता है- मिसाल के तौर पर, परिवार के माहौल के साथ-साथ शिशु के साथ खेलने वाले बच्चे उसके बोलना सीखने में अहम किरदार निभाते हैं। अगर आपको लगे कि इसमें समय लग रहा है तो इसमें घबराने या किसी जांच की जरूरत नहीं है। खुद किसी नतीजे पर पंहुचने के बजाय शिशु में नीचे दिये गये लक्षणों को देखने की कोशिश करें और अगर आपको यह लक्षण न दिखें तो किसी विशेषज्ञ की सलाह लें जो बोलने और सुनने की समस्याओं का जानकार हो। [जानिये: क्या हैं बच्चे के सबसे पहले मम्मी पापा बोलने के पीछे?]
डाक्टर की सलाह लें, अगर...
- तीन माह के दौरान आपको लगे कि शिशु को सुनाई नहीं देता और वह तरह-तरह की आवाजों पर कोई प्रतिक्रिया न दे रहा हो
- 6 माह के दौरान आपका शिशु उसे कही जा रही बातों पर कोई प्रतिक्रिया न दे रहा हो
- 4 माह के समय में शिशु का नाम पुकारे जाने पर वह कोई प्रतिक्रिया न दे
- 2 साल का हो जाने पर भी शिशु को एक जगह नजर टिका पाने में कठिनाई होती हो
- आपका शिशु अपनी उम्र वाले दूसरे बच्चों की तुलना में बोलचाल कर पाने में जाहिर तौर पर अलग हो
- ज्यादातर मामलों में, ऐसा पता चलता है कि शिशु अपने इस समय का आनंद ले रहे होते हैं - तो बेहतर है कि बिना चिंता किये रहा जाये और शिशु को बोलना सीखने में जितना समय लगे, उसे दिया जाय।
- क्या आपके पास भी कोई ऐसी कहानी है कि आपके शिशु ने अपना पहला शब्द क्या बोला था? हमें अच्छा लगेगा अगर आप प्रतिक्रिया देंगे और इसे हमारे साथ साझा करेंगे।
अपने माता-पिता होने का आनंद लेते रहिये।
इन संकेतों से आप बड़ी आसानी से पता कर सकती हैं कि आपका शिशु कब अपना पहला शब्द बोलेगा; उसका भाषाई विकास कैसा है और आपको कब इस बारे में डाक्टर की सलाह की जरूरत है।
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