जानिए क्या है भ्रूण के अच ...
गर्भावस्था आपको बेहद खुशी देने वाला समय होता है और यही समय होता है जब आप एक नई जीवनचर्या को अपनाने के लिये खुद को तैयार करती है जिससे पेट में पलने वाले शिशु की अच्छी बढ़त तय हो सके और पैदाइश के समय शिशु सेहतमंद हो। आज के दौर में माता-पिता बनने जा रहे ज्यादातर लोग धूम्रपान और शराब के सेवन की वजह से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर और दिमाग पर इनके लम्बे समय तक रहने वाले असर से अच्छी तरह से वाकिफ हैं और आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि कभी-कभी शराब पीने वाली बहुत सी गर्भवती माताएं भी शिशु पर इसके खतरनाक असर को देखते हुए ऐसा करने से बचने लगी हैं।
हालांकि, सभी जरूरी सावधानियां बरतने के बाद भी, आप उन सभी तौर-तरीकों और आदतों को याद नहीं रख सकते जिनसे आपको बचना चाहिए और जो आपके शिशु के विकास को रोक सकती है। यहाँ हमारी जीवनशैली की कुछ ऐसी ही साधारण बातों के बारे में बताया जा रहा है जो आपके शिशु की बढ़त पर बुरा असर करती हैंः
काॅफी/कैफीन
काॅफी कितने काम की चीज है, है न! हम में से बहुत से लोगों के लिये कैफीन एक ऊर्जा देने वाले टाॅनिक का काम करती है, खासकर उन कामकाजी महिलाओं के लिए जिन्हें हमेशा सक्रिय रहना होता है और जिनके पास न तो पैर रखने की फुर्सत है और न ही कुछ देर आराम करने या कमर सीधी करने का समय है। देखा जाय तो कैफीन की खुराक केवल काॅफी से ही नहीं मिलती। आपकी रोजाना की चाय, चाॅकलेट्, शीतल पेय, कुछ खास दर्द निवारक दवाईयां, सर्दी-जुखाम और एलर्जी से बचाने वाली दवाईयां, इन सब में भी कैफीन की अच्छी खासी मात्रा होती है। कैफीन की वजह से आपके शरीर में ज्यादा तादाद में मूत्र बनने लगता है और इससे शरीर में तेजी से पानी की कमी होती है। यह कैल्शियम को शोषित करने की शारीरिक क्षमता पर भी असर करता है। बहुत सी जांचे इस ओर भी इशारा करती हैं कि कैफीन के ज्यादा सेवन से गर्भपात होना, समय से पहले प्रसव होना और पैदायशी शिशु का वजन कम होने जैसी परेषानियां हो सकती हैं। यदि आपको पहले से उच्च रक्तचाप या गर्भावस्था की वजह से होने वाले उच्च रक्तचाच का ख़तरा है तो आपको कैफीन के सेवन स बचना चाहिए।
अगर आप गर्भधारण की योजना बना रही हैं तो आपको कैफीन के रोजाना सेवन को धीरे-धीरे कम करना चाहिए क्योंकि इसे अचानक छोड़ने से आलस, थकावट और सरदर्द जैसी परेषानियां हो सकती हैं। आपको अपनी सुबह की चाय (100-200 मिलीग्राम कैफीन युक्त) के बदले कुछ ज्यादा सेहतमंद जैसे ग्रीन टी, हर्बल टी या डीकैफ (बिना कैफीन युक्त काॅफी) का सेवन करने की आदन डालनी चाहिए। इन चीजों में भी कैफीन होता है पर बहुत कम मात्रा में, पर किसी भी कैफीन युक्त पदार्थ का सेवन करने से पहले ध्यान रखें कि इस बारे में गर्भावस्था के दौरान खानपान के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
अनैच्छिक या दूसरे के जरिये धूम्रपान
गर्भावस्था के समय धूम्रपान न करना पूरी तरह से इस बात को पक्का नहीं करता कि आपका शिशु इसके ख़तरे से सुरक्षित है। गर्भवती माँ का अपनी इच्छा के खिलाफ तम्बाकू के धुएं में रहना गर्भ मंे पलने वाले शिशु की बढ़त पर बहुत गहरा असर करता है। सिगरेट के धुएं में हज़ारों जहरीले रसायन होते हैं जो माँ के खून के बहाव के साथ गर्भ तक पहंुच जाते हैं। सिगरेट के धुएं में पाई जाने वाली कार्बन मोनाआॅक्साइड गर्भ में पलने वाले शिशु तक आॅक्सीजन के पहुंचने में रूकावट पैदा करती है जबकि निकोटीन, प्लेसेंटा झिल्ली को पार करते हुये गर्भाशय और प्लेसंेटा में खून के बहाव को कम कर देता है। धूम्रपान न करने वाली गर्भवती महिलाएं, जो तम्बाकू के धुएं का सेवन करती हैं, उन्हें मृत शिशु के पैदा होने, गर्भपात होने और समय से पहले प्रसव का ज्यादा खतरा होता है
अनैच्छिक धूम्रपान से बचने के लिये जरूरी है कि आप इस बात के लिय आवाज उठायें कि आपके आस-पास का माहौल, घर और आॅफिस दोनों जगह धूम्रपान मुक्त हो।
ज्यादा देर तक काम करना
शारीरिक मेहनत, गर्भावस्था में होने वाली थकान की सबसे बड़ी वजह है और केवल कामकाजी महिला होने पर ही ऐसा नहीं होता बल्कि पहली तिमाही के बाद घरेलू कामकाज भी आपको उतना ही थकाते हैं। इससे अलावा, हालिया जाचें बताती हैं कि ज्यादा देर तक खड़े रहना, झुकना और जरूरी शारीरिक कामों को करते रहना भी गर्भ में पलने वाले शिशु की बढ़त को सीमित कर देता है और कम वजनी शिशु की पैदाइश का वजह बनता है। इस बारे में 2012 में की गई सबसे नई खोज पर छापे गए ‘आॅक्यूपेश्नल एण्ड एनवायरनमेंटल मेडिसिन’ जर्नल में कहा गया है कि लम्बे समय तक खड़े रहना और जरूरत से ज्यादा काम करना गर्भ में पलने वाले शिशु की बढ़त पर बुरा असर करता है। विशेषज्ञों ने पाया कि जब कोई गर्भवती महिला अच्छी नींद नहीं लेती और पूरा आराम नहीं करती तो वह समय से पहले प्रसव और तमाम दूसरे खतरों को बढ़ाती है और इसकी वजह से प्रसव होने में जरूरत से ज्यादा समय भी लग सकता है।
एक आनंदपूर्ण और सेहतमंद गर्भावस्था तय करने के लिये, सलाह है कि काम के बीच नियम से ब्रेक लें और अपने लिए भी कुछ समय निकलें जिसमें आप बिना कुछ किए बस आराम से बैठ सकें।
सामान्य खान-पान
गर्भावस्था में होने वाले हारमोनल उतार-चढ़ाव की वजह से आपका मन अजीब तरह की चीजें खाने-पीने के लिय मचलता रहता है और किसी अटपटे समय पर भूख लगने पर जरूरी नहीं आपके पास हल्का-फुल्का खाने के लिए कुछ सेहतमंद स्नैक्स हमेशा मौजूद हों- और इसका नतीजा होता है कि कुछ भी अनाप-शनाप खा कर भूख मिटाना, तो इससे बचने के लिये आगे बढ़ो, थोड़ी मेहनत करो और खाने के लिए अपना मनपसंद लजीज चीज़ पिज्जा तैयार करो, लेकिन एक बार में केवल एक।
ऐसा क्यों करना चाहिएः
ज्यादा मीठा और तेलीय खान-पान गर्भावस्था में वजन बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है और यह गर्भवती महिलाओं में उच्च रक्तचाप और गर्भकालीन डायबिटीज़ के जोखिम को बढ़ाता है। ज्यादा वजनी महिलाओं में मृत शिशु के पैदा होने, गर्भपात होने और समय से पहले प्रसव होने जैसे मामले बड़े आम हैं। और तो और, ज्यादातर मामलों में यह भी पाया गया है कि खाने-पीने की चीजों में इस्तेमाल होने वाले बनावटी रंग और रसायन गर्भ में पहुंच कर शिशु की सोचने-समझने की ताकत और याद्दाश्त को कमजोर कर देते हैं।
कुछ जांचों में यह दिलचस्प बात भी सामने आई है कि जंकफूड पसंद करने वाली गर्भवती महिलाओं का यह गुण उनकी संतान में भी जाता है जिससे शिशुओं में इस नुकसानदायक खाने की सहज् पसंद पैदा हो जाती है और यह पैदा होने के बाद शुरूआती सालों में बनी रहती है।
‘शिशु रोग जर्नल’ में छपी एक जानकारी के मुताबिक, ‘गर्भवती माँ जो कुछ भी खाती है, गर्भ का एमनिओटिक तरल उसके खाने के जायके को शिशु तक पहंुचा देता है जिससे वह कुछ चीजों का स्वाद जानने लगता है।’
अंदरूनी और बाहरी साफ-सफाई में लापरवाही करना
अगर आप गर्भवती हैं तो कभी-कभी आलस आना, सुस्ती महसूस होना और कुछ भी करने का मन न होना जैसे नहाना; ये सब आम बातें हैं। गर्भावस्था, शरीर की बीमारी से लड़ने की कुदरती ताकत को कम करने के लिये जानी जाती है और शरीर को वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से बचाव के लिये नाज़ुक बना देती है। इस समय गर्भवती महिलाओं में मसूढ़ों की बीमारी होना बहुत आम बात है जो हार्मोन प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ जाने की वजह से होता है, जो कि शरीर में रोगाणुओं की बढ़ती में इज़ाफा करता है।
दांतों की खराब देखभाल - रोज दांत न मांजना, दांतो की तकलीफ जैसे कैविटी और मसूढ़ों से खून आने की अनदेखी करना, मसूढ़ों में सूजन और संक्रमण की वजह हो सकते हैं। संक्रमण का इलाज न होने से खतरनाक रोगाणू खून के बहाव के साथ गर्भ तक पहुंच सकते हैं। मसूढ़ों में सूजन और खून आने की तकलीफ, शरीर में पाये जाने वाले तरल को बढ़ाने के लिए जानी जाती है जिससे प्रसव के समय ज्यादा दर्द झेलना पड़ता है।
इसलिए रोजाना नहाएं, निजी अंगों की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें और मसूढ़ों की अच्छी देखभाल करें क्योंकि यह गर्भवती माँ और पेट में पलने वाले शिशु दोनों की सेहत की बचाव करता है।
मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके काम आएगी। और क्योंकि आप अपने शिशु की देखभाल के लिये सबकुछ करती हैं तो अपनी गर्भवस्था का भी भरपूर मजा लें।
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