गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीनों में बार-बार जी मचलता है या उल्टी होती है, इसे ही मेडिकल भाषा में मॉर्निंग सिकनेस (Morning Sickness) कहते हैं। इसे मॉर्निंग सिकनेस इसलिए कहा जाता है कि किसी किसी स्त्री में सुबह के वक्त यह लक्षण बहुत ज्यादा मात्रा में होते हैं और जैसे-जैसे दिन गुजरता है वैसे-वैसे यह लक्षण कम होते जाते हैं और शाम में थोड़ा आराम मिलता है। वैसे यह लक्षण किसी भी वक्त हो सकते हैं। आमतौर पर मॉर्निंग सिकनेस प्रेगनेंसी में प्रथम 3 महीने तक रहता है उसके बाद बंद या कम हो जाता है।
कुछ मामलों में ये लक्षण 9 महीने तक भी दिखाई देते हैं। मॉर्निंग सिकनेस की शुरुआत गर्भावस्था के 4 से 6 हफ्ते से होती है। प्रेगनेंसी में स्त्री का ब्लड प्रेशर सामान्य रहना बेहद जरुरी होता हैं और अगर स्त्री को अधिक उल्टी हो रही है तो इसका तुरंत उपचार करना आवश्यक हो जाता हैं। गर्भावस्था में जी मचलना या उलटी होना (Vomiting in Pregnancy) का कारण, उपचार, आहार सुझाव और घरेलु नुस्खों की जानकारी निचे दी गयी है। मॉर्निंग सिकनेस की तीव्रता एक स्त्री से दूसरे स्त्री में अलग-अलग होती है। किसी को सिर्फ जी मचलता है तो किसी स्त्री में जी मचलाने के साथ उल्टी भी हो सकती है। सौम्य से मध्यम केसेस में कोई चिकित्सा की आवश्यकता नहीं होती है, दैनिक दिनचर्या एवम आहार के कुछ बदलाव करके इसमें राहत मिल सकती है। लेकिन तकलीफ छोटी हो या बड़ी यह किसी भी वक्त परेशानी का सबब बन सकती है क्योंकि यह स्त्री को थकावट एवम कमजोरी देती है।
प्रेगनेंसी में जी मचलाना(उल्टी होने, मॉर्निंग सिकनेस) के क्या कारण हैं ?/ Causes of Nausea & Vomiting in Pregnancy in Hindi
मॉर्निंग सिकनेस का कोई विशेष कारण नहीं है .शरीर में होने वाले बदलाव की वजह से भी यह हो सकता है। कुछ संभाव्य कारणों की ओर अगर हम देखें तो उसमें यह कारण पाए जाते हैं। जैसे की :
- हारमोंस का अधिक होना / Hormones : गर्भावस्था में HCG ( Human Chorionic Gonadotropin ) और Oestrogen नामक हार्मोन बढ़ते हैं। अगर यह आवश्यकता से अधिक मात्रा में पड़े तो इस वजह से स्त्री को यह परेशानी हो सकती है। कभी कभार एक से ज्यादा गर्भ का रहना जैसे कि ट्विन्स , इनमे भी हारमोंस की अधिकता होने की वजह से मॉर्निंग सिकनेस के लक्षण स्त्री में दिखते हैं।
- पेट का संवेदनशील होना / Acidity : कुछ दिनों में शरीर का GI track ( gastrointestinal) गर्भावस्था से होने वाले बदलाव के कारण अतिसंवेदनशील हो जाता है या कुछ स्त्रीयों में एच पाइलोरी नामक बैक्टीरिया की अधिकता के वजह से जी मचलाना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
- तीव्र गन्ध / Smell: मसाले युक्त आहार, लहसुन आदि तीव्र गंध युक्त पदार्थ और परफ्यूम की गहरी खुशबू के वजह से आपको तकलीफ हो सकती है।
- अत्यधिक तनाव / Tension : अधिक तनाव से शरीर के हारमोंस बढ़कर स्त्री को परेशान कर देते हैं।
- इतिहास / History : अगर आपके पहले प्रेगनेंसी में भी आपको nausea और vomiting की परेशानी हो तो दूसरे में भी हो सकती है।
- दवा / Medicine : अगर आप बच्चा रहने से पहले बर्थ कंट्रोल पिल्स ले रही थी तो इसका भी असर हो सकता है।
- मोशन सिकनेस / Motion Sickness : अगर आप को मोशन सिकनेस की हिस्ट्री है जैसे की बस या गाड़ी में जाते हैं तो उस वक्त अगर आपको उल्टी की शिकायत रहती है तो प्रेग्नेंसी में भी आपको यह शिकायत रह सकती है।
- आनुवंशिकता / Hereditary : अगर कोई आनुवंशिकता हो जैसे की माता या आपके बहन को मॉर्निंग सिकनेस की परेशानी रही हो तो आपको भी रह सकती है।
- माइग्रेन / Migraine : माइग्रेन हेडेक जैसी कोई शिकायत कभी रही हो तो उससे भी मॉर्निंग सिकनेस रह सकता है।
प्रेगनेंसी में जी मचलाना, उलटी होने (मॉर्निंग सिकनेस) से बच्चे पर असर/ Effects of Nausea and Vomiting on Pregnancy in Hindi
सौम्य से मध्यम मॉर्निंग सिकनेस में बच्चे पर कोई असर नहीं होता है। अगर पहले 3 महीने में आपका वजन नहीं बढ़ता है तो इसमें कोई परेशानी नहीं है। सिर्फ आपको यह ध्यान रखना है कि आप को अपने आप को हाइड्रेट रखना है और nausea और vomit होने के बावजूद भी संतुलित आहार लेना है। शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। अगर उलटी की तीव्रता अधिक रही और काफी लंबे समय तक रहती है तो इसमें समय से पहले बच्चे का जन्म होना, बच्चे का वजन कम होना आदि दिक्कत आ सकती है।
प्रेगनेंसी में जी मचलाना का उलटी होने से कैसे राहत पा सकते हैं ?/ Nausea, Vomiting Treatment Home Remedies for Pregnancy in Hindi
माइल्ड केसेस में साधारण तरीकों को अपनाकर राहत पा सकते हैं। अगर इनसे राहत नही मिलती है तो आप डॉक्टर की सलाह से सुरक्षित और असरकारक दवाईयों की मदद से परेशानियों का समाधान पा सकती है।
प्रेगनेंसी में जी मचलाना का उलटी होने पर कैसा आहार लेना चाहिए ?/ Diet Tips to Avoid Vomiting in Pregnancy in Hindi
गर्भावस्था नारी जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें आने वाले नए मेहमान की खुशी तो होती है और दूसरी ओर शरीर में होने वाले बदलाव को लेकर चिंता...
- खाने के मामले में यह नियम ध्यान रखें कि थोड़ा-थोड़ा करके खाएं। चाहे तो बार-बार खाएं पर कोशिश करें कि आपका पेट खाली ना रहे। अधिक देर भूखे ना रहे। दिन में 3 बार भारी खाना खाने के बजाए 6 बार थोड़ा और हल्का खाना खाएं।
- खाने में प्रोटीन युक्त आहार की मात्रा अधिक ले।
- जो भी खाना खाया वह धीरे और अच्छे से चबाकर खाएं।
- खाना खाने के बाद तुरंत सोना नहीं है। कुछ देर टहलना है।
- खाना सादा खाएं। मिर्च मसालों से युक्त और अधिक तीखा खाने से परहेज करें। ऐसे खाने से एसिडिटी बढ़ती है।
- नाश्ता जरूर लें। नाश्ते में मोठ, मुंग, चना, राजमा आदि कटहल ले तो ज्यादा अच्छा रहेगा।
- अपने बेड पर ही ग्लूकोज़ बिस्किट, टोस्ट आदि सुखी चीजें रखिए और सुबह जब नींद खुलती है तो पहले इन को खा कर कुछ देर 20 से 30 मिनट फिर से लेट जाइए और फिर उठिये। इससे आपके पेट में एसिड की मात्रा कम होगी जिससे आपको सुबह में मचलाहट कम होने में मदद मिलेगी।
- सुबह बिस्तर से जब आप उठेंगे तो एक झटके से ना उठे धीरे-धीरे करके उठे।
- तीव्र गन्धवाले आहार जैसे लहसुन ना खाएं। खाना थोड़ा ठंडा या सामान्य तापमान युक्त खाए गरम खाने में गंध ज्यादा आती है।
- अधिक तला हुआ, मैदायुक्त आहार, फास्टफूड आदि न खाएं। यह पचने में अधिक समय लगता है और अपने डाइजेस्टिव सिस्टम को इरिटेट करता है।
- खाने के बाद ब्रश और कुल्ला अवश्य करें। हारमोनल चेंजेस की वजह से मुंह में saliva याने की लार काफी बनती है जिससे बार-बार जी मचलता है ऐसे में हो सके तो दिन में तीन से चार बार ब्रश करें।
- दो खानों के बीच ड्रिंक्स जैसे निंबू शरबत, जूस, पानी आदि योग्य मात्रा में ले। अगर vomiting ज्यादा होती है तो ORS सोलुशन या Glucon D, एप्पल, मोसम्बी आदि फलों का जूस बिच बिच में लेती रहे , जिससे की बॉडी का इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बना रहे और डिहाइड्रेशन ना हो।
- आपको अपने यूरिन के कलर पर ध्यान रखना होता है अगर यह साफ या हल्का पीला है तो ठीक है , अगर गहरा पीला है तो इसका मतलब आपके शरीर में पानी की कमी है तो लिक्विड बराबर लेते रहे।
- एक बार में बहुत अधिक पानी नहीं पिए बल्कि सिप -सिप करते हुए दिन भर में थोड़ा थोड़ा पानी पीते रहे।
- खाने के तुरंत पहले और खाने के बाद 1 घंटे तक पानी ना पिए। |
अक्यूप्रेशर थेरेपी / Acupressure Therapy
अपनी कलाई को दबाना या कलाई पर एक्यूप्रेशर बैंड जोकि सॉफ्ट कॉटन का व्रिस्टबैंड होता है यह बाँधने से मॉर्निंग सिकनेस में आराम मिलता है। यह एक प्रकार की एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति है।
जीवन शैली में क्या बदलाव करें? / Changes Needed in Life Style
- ताजी हवा का सेवन अवश्य करें सुबह और शाम टहलने जाए।
- मॉर्निंग और इवनिंग वॉक आपके डाइजेशन के लिए अच्छा रहेगा।
- खाने के अलावा कुछ अन्य वजह भी है जिनका खास ध्यान रखें जैसे कि गर्म और उबकाऊ रूम , परफ्यूम की गहरी गंध, पेट्रोल, डीजल की गंध आदि।
- जब आप तनावपूर्ण और थके हुए होते हो तब आप को मचलाहट अधिक हो सकती है इसलिए खुद को रिलेक्स करने के लिए वक्त दीजिए, जैसे कि टीवी देखिए, अपने फ्रेंड्स के साथ समय बिताइए। इन चीजों से आपका स्ट्रेस कम होगा और आपका मन भी लगेगा।
- प्रेग्नेंसी के दौरान दी जाने वाली विटामिन युक्त गोलियों को कोशिश करें कि खाने के साथ ले या सोने के तुरंत पहले ले।
मॉर्निंग सिकनेस के आयुर्वेदिक उपाय और घरेलु नुस्खे
#1. अदरक का प्रयोग : पेट को आराम देने के लिए और इन लक्षणों को कम करने के लिए आप अदरक को आजमा कर देख सकते हैं।
- आप चाहे तो ताजा अदरक को छिलकर उसके छोटे छोटे टुकडे करके उसपर निम्बू निचोड़ कर चूसते रहे या अदरक की चाय पिए या अदरक की कैंडी खाए।
- एक कप गर्म पानी में 1 इंच अदरक कद्दूकस करके डालें 5 मिनट बाद इसे छानकर पी लें।
- बाजार में कहीं-कहीं अदरक की कैप्सूल भी मिलते हैं, सौम्य तकलीफ में इससे भी आराम होता है।
- अदरक, लौंग, दालचीनी आदि लेकर आधा लीटर पानी में उबालें फिर इसे छानकर रखे । गुनगुना होने पर इसमें 2 चम्मच शहद मिलाएं। जब भी प्यास लगे तब थोड़ा थोड़ा यह पानी भी पीजिए।
#2. निम्बू का प्रयोग: ताजा कटा निंबू सूंघे। आईस टी में निंबू मिलाकर पिए। दिन में दो से तीन बार निंबू पानी पिए। चार से पांच नींबू को डीप फ्रीज में रखे या कड़क धूप में सुखाये। फिर इनके बीज निकालकर इन्हें मिक्सी में पीसकर पाउडर बनाएं। यह आधा चम्मच पाउडर एक गिलास पानी में घोलकर पीए।
#3. अजवाइन का प्रयोग: अगर जी मचलाना प्रारंभ हो तो थोड़ी सौंफ सेक कर चाहे तो उसमें तील ,अजवाइन मिलाकर थोड़ी थोड़ी देर से चबाते रहे। सुबह एक चम्मच अजवायन चबाकर खाएं।
#4. केला : केले जरूर खाएं । एक दिन में आप एक से दो केले खा सकते हैं।
#5. एरोमा थेरेपी : एरोमा थेरेपी का प्रयोग भी कर सकते हैं जैसे की नींबू , पुदीना, ऑरेंज, अदरक आदि का सेंट के कुछ ड्रॉप्स आपके रुमाल पर डालकर इन्हें सूंघे। इससे भी आपको अच्छा लगेगा। पुदीने के पत्ते क्रश करके उन्हें सूंघे।
#6. साइट्रस फल : साइट्रस फूड का सेवन करें। जैसे संत्रा, मौसंबी, नींबू , एवोकैडो आदि।
#7. योग / Yoga : प्रतिदिन अनुलोम विलोम प्राणायाम जरुर कीजिए इससे आपको काफी आराम मिलेगा।
अगर उपर्युक्त उपायों से आपको आराम नहीं मिलता है तो अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें। वह आपको सही दवाई देंगे जैसे के विटामिन बी 6 और कुछ दूसरी दवाइयां जिससे आपको राहत मिलेगी। अगर उलटियां बहुत ज्यादा है और पेट में कुछ भी नहीं रहता जैसे पानी, जूस, अनाज, टेबलेट आदि तो इस अवस्था को Hyperemesis Gravidarum कहते हैं और ऐसी अवस्था में हॉस्पिटल में दाखिल होकर शरीर में पानी की कमी दूर करने के लिए पानी चढ़ाना / Saline लगाना और उचित दवाइयां लेना जरूरी होता है। इस अवस्था में शरीर में विटामिन्स की कमी हो जाती है साथ ही यूरिन में केटोन्स पाये जाते है।
इन चीजों के बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं जैसे की :
- आपका वजन कम हो रहा है
- 5 महीने तक भी आपकी तकलीफ कम ना हुई हो
- Vomit में अगर रक्त आता हो
- खड़े रहने पर चक्कर आते हो
- शरीर में पानी की कमी / डिहाइड्रेशन के लक्षण दिख रहे हो। जैसे की जीभ का सुखना, यूरिन का डार्क कलर का होना, यूरिन कम होना, पेट में दर्द, बुखार या सिरदर्द हो।
मॉर्निंग सिकनेस आपकी जिंदगी में भी दिखल देता है जैसे कि आपके मूड पर, आपके काम पर, आपकी घर की स्थिति पर और आपकी अपने परिवार के ख्याल रखने की क्षमता पर। अगर गर्भावस्था में और ऐसी स्थिति में आपको आपके परिवार का और दोस्तों का साथ मिलता है तो इस तकलीफ से गुजरना और राहत पाना आसान हो जाता है। इस तरह इन आसान उपायों को अपनाकर, उचित आहार-विहार और डॉक्टर की सलाह से आप अपनी प्रेग्नेंसी को एंजॉय कर सकते हैं और प्रेगनेंसी में होनेवाली तकलीफे जैसे की जी मचलना और उलटी होना आदि तकलीफ से राहत पा सकती हैं।
यह लेख Parentune के साथ डॉ पारितोष त्रिवेदी जी ने साझा किया हैं l पेरेंटिंग और सेहत से जुडी ऐसी ही अन्य उपयोगी जानकारी सरल हिंदी भाषा में पढने के लिए आप डॉ पारितोष त्रिवेदी जी की वेबसाइट www.nirogikaya.com पर अवश्य विजिट करें।