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प्रसव बाद काम पर वापस जाने की योजना बनाते समय ध्यान देने वाली बातें

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3 months ago

प्रसव बाद काम पर वापस जाने की योजना बनाते समय ध्यान देने वाली बातें

प्रसव के बाद अगर आप काम पर वापस लौटने के बारे में सोच रही हैं तो शिशु की परवरिश से जुड़ी बहुत सी बातों पर ध्यान देने की जरूरत होती है जिसमें परेशान करने वाले सवालों के साथ-साथ मन में उठने वाली तमाम शंकाएं भी शामिल होती हैं जैसे- जब मैं काम पर जाउंगी तो शिशु स्तनपान कैसे करेगा? यह कैसे तय होगा कि मेरे काम पर बाहर जाने के बाद मेरे शिशु की देखभाल उसी तरह हो रही है जैसा मैं चाहती हूँ और परिवार के सदस्य या शिशु की आया उसकी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रख रहे हैं या नहीं?

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    ऐसे में अगर आप नीचे लिखी बातों को याद रखें तों प्रसव के बाद काम पर लौटना आपके लिए ज्यादा आसान रहेगा।

     

    क्या करें -

     

    1. पहले से तैयारी करेंः पहले से तैयार होना चीजों से बेहतर ढंग से निपटने में मददगार होता है। अगर प्रसव के बाद आपकी काम पर वापस लौटने की योजना है तो इसके लिए कम से कम दो सप्ताह पहले से तैयारी करें। इसके लिए एक कार्यक्रम बनाएं और इसे उस शख़्स के आस-पास ही टांगें जिस पर शिशु की देखभाल की जिम्मेदारी है और जिससे वह जान सके कि उसे क्या करना है और कब।

     

    2. शरीर में पर्याप्त दूध का होनाः आप जानती हैं कि आपका शिशु पेट भरने के लिए केवल माँ के दूध/स्तनपान पर निर्भर है इसलिए यह जरूर पक्का करें कि काम पर जाने के दो दिन पहले से आपके शरीर में शिशु की जरूरत के मुताबिक पर्याप्त दूध बने।

    काम पर जाने के कम से कम 2 हफ्ते पहले से शिशु को कटोरी-चम्मच या बोतल से दूध पिलाना शुरू कर दें जिससे शिशु को इनकी जानकारी हो जाए और वह ऐसे दूध पीने के लिए तैयार हो सके। इसके अलावा, आपको इन बर्तनों की ठीक से साफ-सफाई सुनिश्चित करने के लिए स्टरलाइजर की भी जरूरत है।

     

    और अब वो बातें जिनका आपको पालन करना हैः

     

    ब्रेस्ट पम्पः स्तनों में दूध के भराव की वजह से अगर आपको दिन भर में केवल एक या दो बार दूध निकालने की जरूरत पड़ती है तो मशीन के बजाय खुद ही ब्रैस्ट पम्प करें पर इससे ज्यादा जरूरत होने पर बिजली से चलने वाले ब्रैस्ट पम्प (स्तनों से दूध निकालने की मशीन) का इस्तेमाल करें जो तेजी से काम करता है और ज्यादा आरामदेह होता है। एक अच्छा बिजली से चलने वाले ब्रैस्ट पम्प वो है जिसके इस्तेमाल के समय दूध निकालने के लिए आपको पीछे की तरफ टिकना पड़े न कि आगे की ओर झुकना पड़े, जिसके ज्यादातर हिस्सों को साफ-सफाई की जरूरत न हो, जिसकी कम से कम 2 सालों की गारंटी हो, स्तन से दूध निकालने की रफ्तार को कायम रखने के लिए इसमें ‘लेट-डाउन’ बटन हो और ‘क्लोज़्ड सिस्टम’ युक्त हो जिससे इसके अदंर की चीज बाहर न निकल सके और न ही बाहर की कोई चीज अदंर जा सके। इस प्रणाली से युक्त ब्रैस्ट पम्प में दूध इकठ्ठा होने वाली यूनिट और मोटर ट्यूब के बीच एक सीलिंग वाल्व होता है जो ट्यूब में दूध के बहाव को रोकने का काम करता है जो बेहतर हाईजीन का स्तर कायम रखता है।

     

    स्टरलाइज़ः स्टरलाइज़र की मदद से ब्रैस्ट पम्प और बच्चे के बर्तनों की साफ-सफाई आसानी से और बेहतर ढंग से होती है तो ऐसी सभी चीजों को स्टरलाइज़ करें जो दूध के इस्तेमाल करतें समय काम आती हैं। बर्तनों को केवल खौलते पानी में डाल कर साफ करने से इसके सारे कीटाणु खत्म नहीं होते जबकि स्टरलाइज़ करते समय निकलने वाली भाप सारे रोगाणुओं का खात्मा कर देती है। स्टरलाइज़ करना आपके शिशु की अच्छी सेहत और तंदरूस्ती तय करता है और उसे ‘मिल्क थ्रश’ (बिना स्टरलाइज़ किए हुए बर्तनों से दूध पीने की वजह से मुंह में होने वाला एक तरह का फंफूदी संक्रमण जो एक आम पर दर्दनाक बीमारी है), गैस्ट्रोएन्ट्रीटिस और कुछ दूसरे कीटाणू और फंफूदी संक्रमणों से बचाता है।

     

    ब्रैस्ट पैडः स्तनों में दूध का भराव होने पर दूध खुद-ब-खुद बाहर आने लगता है। ऐसे में स्तनों को दिन भर सूखा रखने में बै्रस्ट पैड बड़े मददगार होते हैं और आरामदायक होते हैं तो काम पर होने के दौरान अपने पास एक जोडी ज्यादा ब्रैस्टपैड रखें।

     

    साफ-सुथरे बर्तनः जिस बर्तन में शिशु के लिए माँ का दूध इकट्ठा करके रखा जाना है, तो यह जरूर पक्का करें कि यह बर्तन ठीक से स्टरलाइज़ किया गया हो, ठीक से बंद हो सकता हो और बीपीए (खाने-पीने की चीजों को रखने के लिए बनने वाले प्लास्टिक के डिब्बे/बर्तन में पाया जाने वाला एक ख़तरनाक रसायन) से मुक्त हो। इसके अलावा, यदि आपके घर में बड़े बच्चे हों या कोई आया या बाई हो तो उन्हें भी यह हिदायत दें कि दूध रखे जाने वाले बर्तन को इस्तेमाल करने का सही तरीका क्या है।

     

    3. माँ के दूध का भण्डारणः माँ के दूध का सही तरीके से भण्डारण करना, दूध की स्वच्छता और स्वस्थता दोनों को यकीनी बनाता है।

     

    (i) कम देखभालः माँ के दूध को उसी बर्तन (बोतल/कप) में संग्रह करने की कोशिश करे जो ब्रैस्ट पम्प के साथ मिलता है। यह दूध को दूषित होने से बचाता है क्योंकि ऐसा करने से दूध को एक बर्तन से दूसरे बर्तन में डालने की जरूरत नहीं होती।

     

    (ii) दूध को ठंडी जगह पर रखनाः ऐसी जगह जहाँ बिजली कटौती, वोल्टेज़ उतार-चढाव जैसी समस्याएं न हो तो माँ को दूध को रखने के लिए फ्रीजर सबसे अच्छी जगह होती है और इसमें दूध को 48 घंटों तक खराब होने से बचाया जा सकता है। दूध को फ्रीज़र में रखने की सही जगह है कि इसे फ्रीज़र में सबसे पीछे रखा जाए क्योंकि यह जगह सबसे ज्यादा ठंडी होती है। अगर आपके पास फ्रीज़र की सुविधा नहीं है तो दूध को अस्थाई रूप से आईस बाॅक्स में इकट्ठा करके रखें। किसी ऐसी जगह पर रहने पर जहाँ बिजली कटौती आम बात है तो बार-बार बिजली के जाने से फ्रीज़र का तापमान भी घटता-बढ़ता रहता है तो ऐसे में माँ के दूध को 3-4 घंटे से ज्यादा देर तक रखने से बचना चाहिए पर फिर भी, अगर आपको दूध को इससे ज्यादा देर तक रखने की जरूरत हो तो यह पक्का कर लें आपके फ्रीज़र में पावर बैकअप और वोल्टेज स्टेबलाईज़र की सुविधाएं जरूर मौजूद हों।

     

    (iii) दूध को गर्म करनाः माँ के दूध में बहुत से एंटीबाॅडी और पोषक तत्व होते हैं जो शिशु को कई तरह की बीमारियों से बचाते हैं। ऐसे में माँ के दूध को स्टोव या माइक्रोवेव में गर्म या डिफ्राॅस्ट करने से उसके यह तत्व नष्ट हो जाते हैं। माँ के दूध को गर्म करने का सबसे अच्छा तरीका है कि या तो बाॅटल वार्मर का इस्तेमाल किया जाए या किसी कटोरें मे गर्म पानी डाल का दूध रखे हुए बर्तन को इस गर्म पानी में धीरे-धीरे घुमाया जाए। जैसे ही दूध का तापमान, कमरे के तापमान के समान हो, शिशु को दूध पिलाएं। माँ के दूध उबालना तो दूर, गर्म तक करने की जरूरत नहीं होती और न कभी ऐसा करना चाहिए।

     

    (vi) दूध के बर्तन पर निशान लगानाः अगर आपने शिशु की जरूरत के हिसाब से ज्यादा दूध इकट्ठा कर रखा है तो इसे अलग-अलग बोतल/बर्तनों में रखें और इन पर यह जरूर लिखा हो कि दूध किस दिन और किस समय निकाला गया है जिससे आपको यह पता रहे कि किस बोतल/बर्तन का दूध कब तक शिशु को पिलाए जाने के लिए उपयुक्त है। इसके अलावा इस पर यह भी लिखा होना चाहिए कि शिशु को इस बर्तन का दूध कब पिलाया गया है जैसे 4.00 बजे शाम, 6.00 बजे शाम। इससे शिशु की देखभाल में लगे शख़्स को षिषु को सही समय पर दूध पिलाने में मदद मिलेगी। इसके साथ यह तय करना भी जरूरी है कि पहले निकाला गया दूध, शिशु को पहले पिलाया जाए जिससे दूध के इस्तेमाल को लेकर उलझन से बचा जा सके।

     

    4. शिशु और माँ का आपसी बंधनः शिशु के साथ आपसी बंधन को मज़बूती देने के लिए कोशिश करें कि काम पर जाने से पहले और काम से आने के बाद शिशु को समय दें और अपना दूध पिलाएं। यह भी पक्का करें कि शिशु को बोतल दूध पीने में वास्तविक निप्पल (स्तन) से दूध पीने का भ्रम न हो (वरना शिशु आपका दूध पीने में आनाकानी करेगा) इसलिए जरूरी है कि या तो दूध पिलाने के लिए बोतल का इस्तेमाल बिल्कुल न किया जाए और अगर करना भी पड़े तो एक चैड़े मुंह वाली बोतल का इस्तेमाल करें क्योंकि इसकी बनावट की वजह से शिशु को बोतल से दूध पीना उसे स्तनपान करने जैसा अहसास कराता है। ऐसा करने से शिशु बोतल और निप्पल में फर्क नहीं कर पाता जिससे आप शिशु को अपनी सहूलियत के हिसाब से जब चाहें स्तनपान करा सकती हैं या बोतल से दूध पिला सकती हैं।

     

    5. जिम्मेदारी से देखभाल करनाः हालांकि, शिशु की देखभाल को लेकर पूरा परिवार मदद करना चाहता है पर आप विनम्रता से उन्हे बताएं कि यह केवल एक शख्स की जिम्मेदारी है तो ऐसे हालात में कि जब आप शिशु के पास नहीं है, उस समय शिशु की जिम्मेदारी घर के किसी ऐसे बड़े शख्स को सौंपे जिसने पहले भी कभी इस जिम्मेदारी को उठाया हो।

     

    क्या न करें -

     

    6. शिशु का साथ अचानक न छोड़ेंः आप जानती हैं कि आपको एक हफ्ते के अन्दर काम पर वापस लौटना है तो धीरे-धीरे शिशु को उसकी आया या उसकी देखभाल करने वाले शख्स के पास छोड़ना शुरू करें जिससे शिशु को आपकी ना-मौजूदगी की आदत हो जाए पर उसके साथ रहते-रहते अचानक उसका साथ न छोड़ें।

     

    7. स्तन से निकाले हुए दूध का दुबारा इस्तेमाल न करेंः काम के लिए निकलने से पहले, आपकी ना-मौजूदगी में शिशु की देखभाल करने वाले सभी लोगों को आगाह कर दें कि आपके दूध को केवल एक बार डिफ्राॅस्ट करना है। शिशु के दूध पीने के बाद भी यदि थोड़ा-बहुत दूध बोतल में बचता है तो इसे फेंक दें पर एक बार डिफ्राॅस्ट हो चुके दूध को सहेजने के लिए दुबारा फ्रीजर में न रखें। याद रहे कि माँ का दूध जैसा कोई और दूध इतना कुदरती नहीं होता और न ही यह किसी ऐसी प्रक्रिया से गुजरता है जिससे इसे लंबे समय तक खराब होने से बचाया जा सके इसलिए पीने के बाद बचे दूध को तुरंत फेंक दें और इसकी बोतल/बर्तन को तुरंत साफ और स्टरलाइज करें।

     

    8. अपने ब्रैस्टपम्प को दूसरों के साथ साझा न करेंः अगर आप किसी ऐसे भाग्यशाली परिवार से हैं जहाँ एक समय में दो या ज्यादा शिशु हों (जैसे संयुक्त परिवार में) या कोई ऐसी रिश्तेदार जो उम्र में आपसे बड़ी हों और अपना ब्रैस्टपम्प आपको देने पर आमादा हों तों उनके इस प्रस्ताव को विनम्रता से नकार दें और अपने लिए एक नया ब्रैस्टपम्प खरीदने के फैसला न बदलें। पुराने बै्रस्टपम्प को रिसाईकिल करने को दौरान उनमें टूट-फूट हो सकती है और ऐसे बै्रस्टपम्प का इस्तेमाल आपके शिशु की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

    9. दूध के रख-रखाव में लापरवाही न करेंः जिन बर्तनों या थैलियों में दूध रखा जाना है उन्हें बिल्कुल ऊपर तक न भरें। दूध भरतें समय बर्तन को कम से कम एक इंच खाली छोड़ें जिससे यह छलके नहीं।

    (i) केवल एक बार इस्तेमाल हो सकने वाले बर्तनः केवल एक बार इस्तेमाल होने वाले बर्तनों में माँ का दूध रखे जाने के मामले में विशेषज्ञों की सलाह उलट है क्योंकि इन बर्तनों को स्टरलाइज़ नहीं किया जा सकता इसलिए इन बर्तनों में जरूरत के मुताबिक हाईजीन बरकरार नहीं रखी जा सकती।

     

    (ii) दूध को फ्रीजर में रखना न भूलेंः अगर आपके पास पास फ्रिज या फ्रीजर नहीं है (जैसे आॅफिस में) तो माँ के दूध को संभाल कर रखने के लिए आईस बाॅक्स का इस्तेमाल करना चाहिए। रसोई का सामान मिलने वाली जगहों पर आईस बाॅक्स बड़ी आसानी से मिल जाते हैं। भारत में ऊंचे तापमान, गर्मी और उमस भरे मौसम के हालातों को देखते हुए सलाह है कि यदि स्तन से निकाले हुए दूध को तुरंत पीकर खत्म नहीं किया जाता तो बिना देर किये इसे फ्रिज में रख दें पर इस दूध को ऐसे ही खुले में न छोड़े क्योंकि एसा करने से यह खराब होने लगता है। 

     

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