मेरा शिशु कब बोलने लगेगा ? बोलना सीखने में बच्चे की मदद कैसे करें?

यह जानी-मानी बात है कि हमारे दिमाग का सबसे अधिक विकास जीवन के पहले सात वर्षों में होता है और ये शुरूआती वर्ष ही वह समय होता है जब दिमाग बढ़ता और सोचने-समझने के लिये तैयार होता है। आपका शिशु इन्हीं वर्षों में बोलना सीखता है, भाषा सीखता है और समाज से जुड़ने के लिये बोलना भी शुरू करता है। अच्छा बोलचाल वाला माहौल, अन्य लोगों की साफ और गूंजती हुयी आवाजें और भाषा ही वह चीजें हैं जो आपके शिशु को बोलना सीखने के लिये मदद करती हैं।
आमतौर पर शिशु 3 से 4 साल की उम्र में बोलना सीख लेता है और आपकी बात समझने और अपनी बात कहने के काबिल हो जाता है। शिशु को बोलना और भाषा सिखाने के लिये आप उसके साथ बातचीत करके, कवितायें और गाने सुनाकर, उसके साथ नाटकीय खेलों से उसकी मदद कर सकते हैं पर यदि आपका शिशु 2 वर्ष की उम्र तक साफ न बोल पाये और उसके भाषा तथा बोलने सीखने की गति धीमी हो तो यह खतरे के संकेत हैं और आपको किसी जानकार से सलाह लेने की जरूरत है।
आवाज, शब्द और भाषा क्या है? / What Is Voice, Word And Language In Hindi?
आमतौर पर शिशु 3 से 4 साल की उम्र में बोलना सीख लेता है और आपकी बात समझने और अपनी बात कहने के काबिल हो जाता है।
- आवाज, शब्द एवं भाषा हमारे बोलचाल के जरूरी हिस्से हैं।
- फेफडे से निकलने वाली हवा, गले में आवाज पैदा करने वाली परतों के बीच दब कर कंपन करती है जिसकी वजह से आवाज पैदा होती है।
- बोलने के लिये जीभ की मांसपेशी, होंठ, जबड़े और गले में आवाज बनाने वाले अंग के एक साथ काम करने से पैदा होने वाली पहचानने योग्य आवाज को शब्द कहते हैं और इन्ही शब्दों से भाषा बनती है।
- भाषा शब्द और वाक्यों का एक समूह है जो हमें इस तरीके से बात कहने के लिये तैयार करती है जिसे लोग समझ सकें। यह बोल कर, लिख कर, चित्र बनाकर या बिना बोले इशारों से जैसे पलकें झपका कर या मुंह बनाकर जाहिर की जाती है।
शिशु कब बोलना शुरू करते हैं? / When Do Babies Start Speaking In Hindi?
आपका शिशु पैदा होने के क्षण से ही बात करना शुरू कर देता है। वह भूखा होने पर, गीला होने पर या बेचैन होने पर रो कर आपसे बात करता है लेकिन जल्दी ही बोलने और भाषा सीखने के लिये उसे एक लम्बी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है जिससे अपने हाव-भाव और शब्दों से खुद को जाहिर करने में उसकी क्षमता बढ़ जाती है।
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जन्म से तीन महीने की उम्र तक आपका शिशु आवाजों को पहचानने लगता है और जानी-पहचानी आवाज की ओर में अपना सिर ले जाने की कोशिश करता है तथा बोलने वाले का चेहरा देखने लगता है। तीन से चार महीने का होने पर वह तुतलाने लगता है जो उसके बोलने की शुरुआत की असली निशानी है और अब आपका शिशु मुस्कुरा कर, हंस कर, खुशी अथवा नाराजगी जाहिर कर समाज से जुड़ने की कोशिश करता है। सबसे पहले ‘प’, ‘ब’ और ‘म’ एंव ‘पुह’, ‘बुह’ और ‘मुह’ जैसी आवाजें आपके शिशु के तुतलाने में शामिल होती हैं।
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शिशु की उम्र 9 से 12 महीने हो जाने पर वह हाथ लहरा कर ‘बाय-बाय’ करने लगता है, ‘न’ करना सीख जाता है और काफी देर तक समझ में न आने वाले जुड़े हुये शब्द जैसे ‘का-कू’ के साथ तुतला कर बड़ों के बात करने के तरीके की नकल करता है। शिशु अपना पहला शब्द जो कि ‘दादा’, ‘पापा’ या ‘मामा’ हो, अपने पहले जन्मदिन के आसपास बोलने लगता है। 18 महीने की उम्र तक शिशु एक-बार में आपकी कही बात को समझने लायक हो जाता है और उसे 20 से 100 शब्दों की जानकारी हो जाती है। 2 वर्ष की उम्र तक शिशु की जानकारी 200 शब्दों से ज्यादा हो जाती है और वह दो शब्द वाले वाक्य बोलना शुरू कर देता है, सवाल करने वाले लहजे में बुदबुदाता है, सुने हुये शब्दों को दुहराता है, उसी तरह बोलने की कोशिश करता है तथा ‘कहाँ है?’ ‘यह क्या है?’ जैसे आपके छोटे सवालों को समझने लगता है।
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3 वर्ष की उम्र पूरा होने पर आपके शिशु को 800 से 900 शब्दों की अच्छी जानकारी हो जाती है। वह 2 से 3 शब्दों में बातें करता है, ‘हाँ’ या ‘न’ में जवाब देता है और खुद को ‘मुझे’ कहकर बताने लगता है। इस समय अपने छोटे शिशु से बात करने और उसके मन में क्या है, यह जानने पर आपको बहुत खुशी होती है। 4 वर्ष की उम्र में आपका शिशु बोलना सीख लेता है और 4 से 5 शब्द वाले जुडे़ हुये वाक्य बना कर बोलने लगता है। वह अपनी बात कह सकता है, आपसे बात कर सकता है, और कहानियां सुनाता है। वह आपकी कविताऐं सुन कर खुश होता है और हंसी-मजाक भी समझने लगता है।
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बाल-विहार जाने की उम्र पार करते-करते आपका शिशु कौन? क्यों? कहाँ? और कैसे? शब्दों का प्रयोग करते हुये आपसे सवाल करना शुरू करता है तथा इन सवालों के जवाब भी देने लगता है। वह अपना नाम एंव पूरा पता बताने लगता है, लम्बे वाक्य बोलने लगता है तथा आपसे बातचीत भी करने लगता है।
भाषा और बोलना सीखने में अपने शिशु की मदद कैसे करें / How To Help Your Infant In Learning To Speak In hindi
जिस समय आपका शिशु, आस-पास के माहौल से भाषा सीखता है तो उसका हौसला बढ़ाने के लिये यह तरीके अपनायें।
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अपने शिशु से बात करें और उसके साथ बातचीत में शामिल हों
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बोलचाल में अलग-अलग ढंग और शब्दों का प्रयोग करें
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बात कहने के बाद रूकें और अपने शिशु को प्रतिक्रिया का समय दें
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अपने शिशु के लिये गाने गायें
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हो सकता है कि शिशु आपके शब्दों को न समझ सके लेकिन वो आपकी आवाज को पहचानेगा और प्रतिक्रिया देना सीखेगा
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इशारों का प्रयोग करते हुये अपने शिशु के साथ बार-बार ‘पैट अ केक’, ‘पीक अ बू’ जैस खेल खेलें
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6 से 9 महिने की उम्र होने पर अपने शिशु को आईना दिखायें और उससे पूछें कि ‘यह कौन है?’
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शिशु को सिखाने के लिये आप शरीर के अंगो की ओर इशारा करते हुये जोर-जोर से उनका नाम लें जैसे ‘नाक’, ‘गाल’
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अपने शिशु को नाटकीय खेलों में शामिल करें
क्या ध्यान देने वाली बातें हैं?
यहाँ कुछ बातें हैं जो आपके के लिये चिंता का कारण हो सकती हैं और जिनके लिये विशेषज्ञ की सलाह लेना ठीक रहेगा।
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यदि शिशु ने 16 से 18 महीने की उम्र तक समझ में आने वाला एक भी शब्द न बोला हो
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यदि शिशु 2 वर्ष की उम्र तक दो अक्षर वाले वाक्य न बोल पाता हो
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शिशु अपना पहला शब्द 18 महीने की उम्र में बोले पर इसके बाद भाषा विकास की गति को बरकरार न रख पाये
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अपना पहला अक्षर 9 से 18 महीने के बीच बोलने के बाद शिशु इसके आगे न बढ सके
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