किशोरावस्था को बेहतर बनाने के 7 टिप्स

किशोरावस्था बड़े हो रहे बच्चों के लिए सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है। इस दौरान बच्चों को अधिक आजादी की चाह होती है। एक किशोर शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत सी चुनौतियों से गुजर रहा होता है। इसके अलावा उसे पढ़ाई, स्कूल और करियर को लेकर बढ़ रहे दबाव को भी झेलना पड़ता है। इस अवस्था में वह उसी काम को करना चाहता है, जो आपकी मर्जी के खिलाफ होता है। बच्चे का यह समय न सिर्फ उसके लिए बल्कि पैरेंट्स के लिए भी चुनौतिपूर्ण होता है। आज इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे ऐसे 7 टिप्स जिनकी मदद से आप अपने लाडले की किशोरावस्था को बेहतर बना सकते हैं।
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किशोर बच्चों के माता-पिता इन बातों का रखें ध्यान /Parents of teenage kids keep these things in mind
- दोस्त बनें – बच्चे जब किशोरावस्था में आएं तो पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे उनसे लगातार बात करते रहें। उनके अच्छे दोस्त बनें। उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि आप हर कदम व हर परिस्थिति में उनके साथ हैं। आपके ऐसा करने से बच्चे अपनी कोई भी समस्या या कोई गलती आपसे नहीं छिपाएंगे। कई अध्यनों में भी ये बात सामने आई है कि जो पैरेंट्स अपने बच्चों की दिनचर्या में भाग लेते हैं उनके रिश्ते बच्चों के साथ बेहतर होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप माता-पिता के साथ ही बच्चों के अच्छे दोस्त भी बनें।
- बच्चे को जिम्मेदार बनाएं – किशोरावस्था में अपने लाडले पर भरोसा जताते हुए उन्हें हर काम के लिए जिम्मेदार बनाएं। उन्हें घरेलू कामकाजों जैसे मार्केटिंग करने, मोलभाव करने व पारिवारिक कार्यक्रमों में शामिल होने का मौका दें। इससे उनके अंदर विश्वास बढ़ेगा। वे नए लोगों से मिलेंगे और नई चीजें सीखेंगे। उन्हें कई बार अपनी एक महीने की सैलरी देकर घर चलाने की जिम्मेदारी भी दे सकते हैं। इस अवस्था में बच्चों में अधिक आत्मविश्वास नहीं रहता। ऐसे में छोटी-छोटी हार से भी वह नकारात्मक हो जाते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप उन्हें लगातार प्रेरित करते रहें और उनके अंदर आत्मविश्वास जगाएं।
- शारीरिक बदलावों के बारे में बताएं – इस अवस्था में बढ़ते हुए बच्चों में अचानक कई शारीरिक बदलाव (प्यूबिक हेयर, आवाज में बदलाव, चेहरे पर ढेर सारे पिंपल्स, कद का बढ़ना, हार्मोन्स में चेंज) होते हैं। इन बदलावों से बच्चों के मन में कई सवाल उठते हैं। ऐसे में पैरेंट्स की ये जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को शारीरिक बदलावों के बारे में सही से बताएं।
- गंभीरता से लें व उनका सम्मान करें – किशोरावस्था में आकर बच्चे चाहते हैं कि उन्हें गंभीरता से लिया जाए। वे इस अवस्था में अपने विचार और मन से काम करना चाहते हैं। वे नहीं चाहते हैं कि उन्हें बच्चे की तरह समझाया जाए। ऐसे में एक पैरेंट्स होने के नाते आपको बच्चे को गंभीरता से लेते हुए उनका सम्मान करना चाहिए। इसके अलावा आप बार-बार उन पर अपना अधिकार जताते हुए अपने फैसले उन पर जबरन न थोपें।
- खुद भी आदर्श बनें – अगर आप बच्चे को इस अवस्था में किसी गलत काम को करने से मना करते हैं, जैसे गाली न देना, झूठ न बोलना आदि। पर खुद ही उनके सामने गलत काम करते हैं, तो बच्चा कभी आपको गंभीरता से नहीं लेगा। वह खुद भी गलत काम करने लगेगा। ऐसे में जरूरी है कि बच्चे को कुछ भी सही चीज बताने से पहले खुद उसका पालन करें और बच्चे के लिए आदर्श बनें।
- पर्सनल सीमाओं का सम्मान करें – इस अवस्था में बच्चे के बेहतर विकास के लिए जरूरी है कि आप उसकी पर्सनल सीमाओं का सम्मान करें। हालांकि पैरेंट्स के लिए यह बड़ी चुनौती होती है कि वे बच्चों को इस स्टेज में कितनी गोपनीयता और स्वायत्तता दें। पर अच्छे निर्णय को विकसित करने के लिए बच्चों को गलतियों से सीखने के लिए कई मौकों की जरूरत होती है।
- कम बोलें और अधिक सुनें – बच्चे किशोरावस्था में आजादी से रहना चाहते हैं। उन्हें ज्यादा रोक-टोक पसंद नहीं आता। ऐसे में आप उनकी बातें ज्यादा से ज्यादा सुनें और उन्हें कम बोलें और कम सलाह दें।
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