जानिए गर्भाशय में रसौली ह ...
महिलाओ में गर्भाशय एक अंग ऐसा होता है, जिसमे अक्सर समस्याएं लगी रहती है और इसकी वजह से महिलाओ को कई बार बहुत परेशानी हो जाती है। गर्भाशय में रसौली एक तरह से नॉन केन्सरस बीमारी है। इसमें महिलाओ की गर्भ की थैली में गांठे हो जाती है। ये गांठे 99 परसेंट नॉन केन्सरस होती है। यानि कैंसर नही बना सकती। गर्भाशय में रसौली अक्सर बच्चे पैदा कर सकने वाली उम्र में होती है। यानि आमतौर पर 20 साल की उम्र हो जाने के बाद ही यह बीमारी होती है। ज्यादातर महिलाओ में यह 30 से 45 साल की उम्र के बीच देखा जाता है। गांठ का साइज़ एक छोटे दाने से लेते हुए काफी बड़ा भी हो सकता है। जब तक गांठे छोटी होती है तब तक इसमें कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है। जैसे जैसे ये बड़ी होती जाती है इसमें लक्षण भी दिखाई देने लगते है। गर्भाशय में रसौली की मुख्य वजह शरीर में हार्मोन्स का असंतुलन है। जो ख़राब लाइफ स्टाइल की वजह से हो सकता है। या फिर एक कारण जेनेटिक भी है यानि जिनके परिवार में रसौली की समस्या है उसे भी रसौली की समस्या हो सकती है। 10 साल की उम्र से पहले पीरियड शुरू होना, शराब खासकर बीयर का सेवन, गर्भाशय में होने वाला कोई भी इन्फेक्शन, मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी गर्भाशय में रसौली होने का रिस्क बढ़ जाता है। तो आइये जानते है की गर्भाशय में रसौली के कौन कौन से लक्षण है और हम इसके उपचार के लिए क्या क्या उपाय कर सकते है।
उपचार:
एलोपैथी दवाएं:
सर्जरी:
आयुर्वेद और योग:
गर्भाशय में रसौली होने के मेन कारण हार्मोन्स का असंतुलन है। जो कई कारणों से होता है इसके लक्षण को पहचान कर सही समय पर इलाज कराने से इससे छुटकारा पाया जा सकता है। सही खान-पान और लाइफ स्टाइल से इससे बचा जा सकता है।
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