प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (Govt’s Maternity Benefit Program) - जानें कितना सफल और कितना असफल?

क्या आप जानते हैं कि अपने देश में हर तीसरी महिला अल्प पोषित है? महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर दूसरी महिला एनीमिया यानि रक्त की कमी से पीड़ित है? चौंका देने वाले इन आंकड़ों को देखकर आप अधिकांश गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की स्थिति के बारे में अंदाजा लगा सकते हैं। अल्पपोषित महिलाएं ज्यादातर कम वजन वाले बच्चों को जन्म देती हैं। आर्थिक मजबूरी के चलते कई माताएं गर्भावस्था के आखिरी दिनों में भी अपने परिवार के जीविकोपार्जन के लिए काम करती रहती हैं। इतना ही नहीं बच्चे के जन्म देने के बाद, तय समय से पहले ही वे फिर से काम करना शुरु कर देती हैं। इसका दुष्प्रभाव नवजात शिशु और माता के ऊपर भी पड़ता है।
भारत सरकार ने 1 जनवरी 2017 से देश के सभी जिलों में मातृत्व लाभ योजना यानि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना लागू कर दिया है। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओंं को किस तरह से आर्थिक लाभ मिल सकता है। इसके अलावा सरकार की इस योजना का जमीन पर कितना असर देखने को मिल रहा है।
जानिए भारत सरकार की प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (Govt’s Maternity Benefit Program) के बारे में
आज हम आपको भारत सरकार की एक ऐसी योजना के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं जिसके तहत गर्भवती महिलाओं को आर्थिक लाभ पहुंचाया जा रहा है। 1 जनवरी 2017 से देश के सभी जिलों में मातृत्व लाभ योजना यानि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना लागू कर दिया गया है। इस योजना के तहत परिवार में पहले जीवित बच्चे के लिए गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली माताओं के खाते में सीधे 5000 की राशि प्रोत्साहन स्वरूप प्रदान की जाती है। प्रसव के बाद जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत मातृत्व लाभ के लिए सभी मानदंडों के अनुसार सभी महिलाओं को औसतन 6000 की राशि प्रदान की जाती है।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना का उद्देष्य
- गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को मजदूरी की क्षति के बदले नकद राशि को प्रोत्साहन के रूप में प्रदान करना
- महिलाएं पहले बच्चे के जन्म से पहले और जन्म के बाद पर्याप्त विश्राम कर सकें
- प्रोत्साहन राशि से गर्भवती महिलाओं एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के बीच स्वस्थ रहने की भावना को प्रबल करना
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत कौन हो सकते हैं लाभार्थी
- केंद्र सरकार, राज्य सरकार या किसी सार्वजनिक उपक्रम में नियमित रूप से रोजगार करने वाली महिलाओं को इस योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा
- वैसी महिलाएं जो वर्तमान में लागू इसी तरह के समान योजना का लाभ उठा रही हैं वे भी इसके दायरे में नहीं आएंगी
- सभी पात्र गर्भवती महिलाएं या स्तनपान कराने वाली माताओं को परिवार में पहले बच्चे के लिए इस योजना का लाभ मिलेगा
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना से संबंधित कुछ और अहम जानकारी
गर्भपात/मृत जन्म के मामले में लाभार्थी भावी गर्भधारण की स्थिति में शेष किस्त का दावा कर सकता है। उदाहरण के लिए अगर मान लिया जाए कि किसी गर्भवती महिला ने इस योजना के तहत पहली किस्त का लाभ उठा लिया है और उसके बाद अगर गर्भपात की स्थिति का सामना करना पड़ गया हो तो वैसे हालात में अगली बार गर्भधारण करने पर उस महिला को पहली किस्त छोड़कर दूसरी और तीसरी किस्त का लाभ मिल सकता है।
लाभ के भुगतान की शर्तें
मातृ वंदना योजना की शर्तें | राशि |
पहली किश्त: गर्भधारण का शीघ्र से पंजीकरण कराने पर | 1000 रूपये |
दूसरी किश्त: कम से कम एक प्रसव पूर्व जांच कराने पर (गर्भधारण के 6 महीने बाद इसका दावा किया जा सकता है) | 2000 रूपये |
तीसरी व अंतिम किश्त: पहली किश्त बच्चे के जन्म का पंजीकरण कराने पर और दूसरा बच्चे ने पहले चक्र का टीकाकरण करवा लिया हो ! | 2000 रूपये |
नोट: (Govt’s Maternity Benefit Program) के लाभार्थी इस योजना का लाभ केवल एक बार ही उठा सकता है ।
जमीन पर कितना सफल है प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना ?
यूं तो देखा जाए तो सरकार की इस योजना में कहीं कोई त्रुटि नहीं है लेकिन सबसे बड़ा सवाल कि क्या जमीन पर इस योजना का लाभ जरूरतमंद महिलाओं को मिल रहा है। बिहार जैसे राज्यों में इस योजना को क्रियान्वयन में लाने का जिम्मा आंगनवाड़ी को सौंपा गया है।
PARENTUNE के कुछ पैरेंट्स ने कुछ आंगनवाड़ी केंद्रों में जाकर इस योजना के बारे में जानने का प्रयास किया। उन्होंने ये पाया कि कुछ आंगनवाड़ी केंद्रों की आशा दीदी को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। कुछ आशा दीदी तो ऐसी भी मिलीं जिन्होंन इससे पहले इस योजना का नाम तक नहीं सुना था। इसके अलावा अखबारों में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक योजना में पंजीकरण कराने की प्रक्रिया को भी जटिल बताया जा रहा है। अब जैसे की 3 किश्त में 5000 रुपये पाने के लिए हर बार आवेदन करना होगा।
इसके अलावा कई पन्नों का फॉर्म भी भरना होगा। अब अगर किन्हीं वजहों से फॉर्म भरने में कुछ गलतियां हो गई तो लाभ मिलने से वंचित भी कर दिया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ कुछ सामाजिक संगठनों का कहना है सरकार ने इस योजना में केवल पहले बच्चे के लिए ही मातृत्व हक देने का प्रावधान किया है।
सरकार ने अगर इस शर्त को नहीं लाया होता तो प्रत्येक साल केवल 2.60 करोड़ गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को ही इसका लाभ मिल पाता लेकिन अब इस दायरे में तकरीबन 51.70 लाख महिलाएं रह गईं हैं।
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