बच्चों को फ्लाइट, रेलवे, मेट्रो और होटल में मिलने वाली आर्थिक छूट

आपका बच्चा भले कितना भी बड़ा क्यों ना हो जाए आपके लिए वो हमेशा बच्चा ही रहेगा लेकिन क्या आपको मालूम है कि अपने देश के अलग-अलग विभागों में बच्चे की परिभाषा को अलग तरीके से व्याख्या की गई है। इस ब्लॉग में हम आपको ये जानकारी देने जा रहे हैं कि कहां और किस क्षेत्र में आपके बच्चे को अतिरिक्त सुविधा का लाभ मिल सकता है यानि की एक वयस्क व्यक्ति के मुकाबले आपके बच्चे को किन जगहों पर रियायत दी जा सकती है। ये जानना आपके लिए बहुत जरूरी है क्योंकि इस ब्लॉग को पढ़ने के बाद आप अपने बच्चे के लिए इन सुविधाओं का लाभ उठा सकती हैं।
किस उम्र के बच्चों को किन विभागों में दी जाती है अतिरिक्त सुविधा? / Exemption for Children in Railway, Hotels in hindi
बच्चों को रेलवे में मिलने वाली छूट(Exemption in Railway)
भारतीय रेलवे के नियमों के मुताबिक जन्म से लेकर 5 साल तक के बच्चे को टिकट नहीं लेना होता है। 5 साल तक की उम्र के बच्चे ट्रेन में बिना सीट के मुफ्त यात्रा कर सकते हैं यानि कि उन्हें अपने माता-पिता के सीट पर सफर करने का अधिकार होता है। 5 साल से 12 साल तक की उम्र के बच्चों को हाफ टिकट लेना होता है। पहले रेलवे हाफ टिकट के लिए भी पूरी सीट देता था लेकिन बाद में इस नियम में बदलाव कर दिया गया। अब हाफ टिकट लेने वाले बच्चे को अपने साथ सफर कर रहे माता-पिता या बड़े लोगों के सीट पर ही सफर करना होगा। अगर आप पूरा सीट चाहते हैं तो रेलवे को पूरा किराया देना होगा। 12 साल से अधिक उम्र वाले बच्चे को पूरा टिकट लेना होगा।
बच्चों को मेट्रो में मिलने वाली छूट (Exemption in Metro)
दिल्ली मेट्रो में बच्चे की उम्र को नहीं बल्कि उनकी हाईट को पैमाना माना गया है। दिल्ली मेट्रो में हाईट के हिसाब से बच्चे को परिभाषित किया गया है। मेट्रो में अगर आप अपने बच्चे के साथ सफर कर रही हैं और अगर वो 3 फीट से अधिक लंबा है तो फिर उसका टिकट लेना होगा। लेकिन अगर आपके बच्चे की लंबाई 3 फीट से कम है तो फिर आपको मेट्रो में सफर करने के लिए बच्चे के लिए टिकट लेने की आवश्यकता नहीं है।
बच्चों को डीटीसी और राज्य परिवहन सेवा वाली बसें में मिलने वाली छूट (Exemption in Buses)
डीटीसी की बसों में माता-पिता के साथ सफर करने वाले 5 साल से कम उम्र की बच्चों को टिकट नहीं लगता है लेकिन 5 साल से 12 साल तक की उम्र के बच्चे को हाफ टिकट लेना होता है। राज्य परिवहन की बसों में भी कमोबेश यही नियम है। ज्यादातर राज्यों के बस परिवहन सेवा में हाफ टिकट धारी बच्चे को भी पूरा सीट दिया जाता है।
बच्चों को हवाई जहाज में मिलने वाली छूट (Exemption in Flights)
एयर इंडिया के नियमों के मुताबिक 2 साल तक के शिशु को 10 फीसदी तक किराया देना पड़ सकता है। हालांकि इसमें सीट अलॉट नहीं किया जाता है और उन्हें अपने माता-पिता के सीट पर ही सफर करना होता है लेकिन अगर आपको अपने शिशु के लिए अलग से सीट चाहिए तो फिर बच्चा कैटेगरी के तहत टिकट लेना होगा। 2 साल से 12 साल तक की उम्र के बच्चे को टिकट किराए का 75 फीसदी तक देना पड़ सकता है। हालांकि इन नियमों में बदलाव किया जा सकता है।
बच्चों को होटल में मिलने वाली छूट (Exemption in Hotels)
कुछ फाइव स्टार होटलों में 12 साल से कम उम्र के बच्चे को फ्री में ही बेड दे दिया जाता है लेकिन ज्यादातर होटलों में ये लिमिट 5 साल की उम्र ही रखी गई है।
बच्चों को सिनेमा हॉल में मिलने वाली छूट (Exemption in Theatures)
सिनेमा हॉल के नियमों के मुताबिक 5 साल से कम उम्र वाले बच्चे को टिकट नहीं लगता है लेकिन अगर आपका बच्चा 5 साल से अधिक उम्र का है तब आपको उसके टिकट के लिए पूरा पैसा देना होगा।
सरकारी नियमों के मुताबिक बच्चे की परिभाषा
चाइल्ड लेबर लॉ- इस कानून के तहत बच्चे की उम्र का निर्धारण 14 साल किया गया है। यानि कि 14 साल से कम उम्र वाले बच्चे से मजदूरी करवाना गैरकानूनी है।
आपराधिक मामले- आपराधिक मामलों में 18 साल से कम उम्र वालों को नाबालिग की कैटेगरी में रखा जाता है। जुवैनाइल जस्टिस बिल के मुताबिक 18 साल से कम उम्र वाले को जुवैनाइल ही माना जाता है। भारतीय दंड संहिता के मुताबिक 7 साल से कम उम्र वाले बच्चे को किसी भी अपराध के लिए कानूनी तौर पर सजा नहीं दी जा सकती है। हालांकि जघन्य अपराध करने वाले 16-18 उम्र वर्ग के जुवैनाइल पर वयस्कों की तरह केस चलाने का भी प्रावधान है।
मताधिकार का प्रयोग (Voting Rights) - अपने देश में 18 साल की उम्र के बाद सभी लड़के और लड़कियों को देश का नागरिक होने के नाते मताधिकार का अधिकार मिल जाता है।
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