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बच्चे का डायपर बदलते समय इन बातों का ध्यान रखें

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Sadhna Jaiswal

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2 months ago

बच्चे का डायपर बदलते समय इन बातों का ध्यान रखें

आजकल डायपर का इस्तेमाल बहुत ही कॉमन हो गया है। डायपर के प्रयोग से बच्चे को आराम मिलता है और साथ ही ये पेरेंट्स के लिए भी सुविधाजनक हो गया है क्योकि इससे बच्चे के कपडे बार-बार गीले होने पर बदलने नहीं पड़ते। लेकिन मेरे एक्सपीरियंस में, चाहे जितना भी एडवांस डायपर हो थोड़ी नमी तो रह ही जाती है। जब बच्चा उसमे पेशाब या पोट्टी कर देता है तो थोड़ी नमी उसमे रह जाती है और उससे बच्चे के डायपर वाले एरिया की त्वचा कभी-कभी ख़राब हो सकती है। नवजात शिशु बहुत जल्दी जल्दी डायपर गीला करते है।  इसलिए उसे बार बार बदलना पड़ता है। शिशु की त्वचा इतनी कोमल होती है की थोड़ी नमी से भी उसे इन्फेक्शन आसानी से हो सकता है। शिशु की त्वचा की देखभाल अच्छे ढंग से जरुरी है नहीं तो बच्चे की त्वचा पर रेशेस भी हो सकते है। इसीलिए बच्चे का डायपर बदलते समय कुछ चीजो का ध्यान रखना बहुत जरुरी है।

  बच्चे का डायपर बदलते समय इन बातों का ध्यान रखें/ Know These Things While Changing Diaper In Hindi

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    • बच्चे का डायपर बदलते समय बच्चे को एक समतल बेड पर या साफ़ जगह लिटाये। पहले बच्चे के डायपर को कमर से खोले फिर उसकी टांगो को ऊपर कर के धीरे-धीरे बाहर की ओर निकाले।  
    • शिशु के पेशाब या पोट्टी करने के बाद उसकी त्वचा को अच्छे से गुनगुने पानी में एक साफ़ कपडे को गीला करके साफ़ करे।  उसके बाद सूखे कपडे से पोछे।
    • शिशु को डायपर पहनाते ये सावधानी रखे की उसकी कमर पे थोडा ढीला  रखें टाइट नहीं पहनाये।  
    • डायपर की उपरी परत हमेशा सुखी रहनी चाहिए अगर ऊपर की परत गीली होगी तो खुजली रेशे या त्वचा लाल हो सकती है।  
    • बच्चे को ज्यादा देर तक डायपर में ना छोड़े हर 1-2 घंटे में चेक करें की बच्चे ने पेशाब तो नहीं किया है।  और अगर बच्चे ने पिशाब कर रखा हो तो उसे तुरंत चेन्ज करना जरुरी है।  
    • जब भी आप बच्चे के साथ घर पर है तो दिन में कम से कम 3-4 बार बच्चे को बिना डायपर के छोड़ देना चाहिए ताकि डायपर के नीचे के एरिया वाली जो चमड़ी है उस पर हवा लगे और वो चमड़ी ड्राई हो जाये उसके लिए जरुरी है की आप अपने कमरे का टेम्प्रेचर नार्मल रखें।   
    • अगर आप बच्चे को ज्यादा लम्बे समय के लिए डायपर पहना रही है तो मार्केट में कई ऐसी क्रीम भी मौजूद है। जिसके अंदर एक एलिमेंट होता है जिंक ओक्साईड क्रीम आप ये जिंक ओक्साईड क्रीम बच्चे को लगाये और फिर डायपर पहनाये तो इससे डायपर की नमी बच्चे के स्किन पर नहीं आ पायेगी अगर बच्चा डायपर के अंदर पेशाब या पोट्टी भी कर दे तो भी ये कुछ समय बच्चे को प्रोटेक्ट करेगा।
    • ध्यान रहे की बच्चा ज्यादा देर गीले कपडे में ना रहे क्योकि गीले कपडे से बच्चे को कई प्रकार की त्वचा की बिमारिया हो जाती है क्योकि पेशाब में यूरिया, एसिड और अमोनिया आदि होते है जो त्वचा में खुजली आदि पैदा करते है इसीलिए बच्चे को पहनाये हुए डायपर को बार-बार चेक करना ना भूलें।  
    • कॉटन कपडे से बने लंगोट डायपर की तुलना में बच्चे के लिए आरामदायक माने जाते है। उससे बच्चे को साइड में ज्यादा रशेस भी नहीं पड़ते। इसीलिए जहाँ तक हो सके कोशिश करें की घर पर कपडे के बने लंगोट ही पहनाये।
    • वैसे तो घर पर बने कॉटन के लंगोट ही बच्चे के लिए ज्यादा आराम दायक होते है। लेकिन अगर आप अपनी और बच्चे की सुविधा के लिए बच्चे को डायपर पहनाती है तो भी उसमे हमेशा ध्यान रखने की जरुरत होती है की कही बच्चा नमी में ना हो क्योकि कुछ बच्चे रो कर बता देते है और कुछ बच्चे उसी नमी में काफी देर तक रह जाते है।  ऐसे में बच्चे को कोई भी प्रॉब्लम हो सकती है जैसे सर्दी,खासी निमोनिया आदि।  शिशु के जन्म लेने के बाद माँ का  सबसे जरुरी काम यह भी होता है बच्चे को नमी से बचाना इसलिए इस चीज का सबसे ज्यादा ध्यान रखने की जरुरत होती है।   

     

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