कैंसर को हराने में ऐसे मद ...
सोनाली बेंद्रे इन दिनों अपने जीवन की सबसे बड़ी जंग लड़ रही हैं वो भी कैंसर जैसी बीमारी के खिलाफ। सोनाली ने जब अपनी बीमारी के बारे में जानकारी दी तो सब हैरान रह गए। सोनाली बेंद्रे ने लिखा कि ''हाल ही में जांच के बाद मुझे ये पता चला है कि मुझे हाईग्रेड मेटास्टेटिस कैंसर है। इसकी उम्मीद मुझे कभी नहीं थी। सोनाली का इलाज इन दिनों न्यूयॉर्क में चल रहा है और उनके जल्द स्वस्थ होने के लिए देश भर के लोग दुआ कर रहे हैं। सोनाली बॉलीवुड की विख्यात अभिनेत्री रह चुकी हैं लेकिन इसके अलावा उनकी पहचान एक अच्छी मां के रूप में भी होती है। यही वजह है कि बच्चों के लिए फूड प्रोडक्ट्स बनाने वाली कई कंपनियों ने एक मां के रूप में सोनाली को ही ब्रांड एंबेसडर के रूप में चयन किया। मुश्किल की इस घड़ी में सोनाली का 13 साल का बेटा रणवीर बहल अपनी मां के साथ न्यूयॉर्क में मौजूद है।
सोनाली अपने परिवार के बेहद करीब है और सबसे ज्यादा प्राथमिकता वो अपने परिवार को ही देती हैं। सोनाली के इंस्टाग्राम एकाउंट उनके परिवार के सदस्यों खास कर पति गोल्डी बहल और बेटे रणवीर की तस्वीरों से भरा हुआ है। सोनाली का बेटा रणवीर भी अपनी मां के बहुत करीब है। रणवीर की उम्र महज 13 साल है लेकिन उसे ये बखूबी पता है कि इस वक्त उसे अपनी मां के हौसले को किसी कीमत पर कमजोर नहीं होने देना है। यही वजह है कि वो अपने पापा के साथ प्रतिदिन हॉस्पीटल जाता है और मां को जल्द से जल्द स्वस्थ होने का भरोसा दिलाता है।
ये सवाल सबसे ज्यादा अहम है क्योंकि इस परिस्थिति का सामना कभी भी और किसी को भी करना पड़ सकता है। जैसा कि सोनाली बेंद्रे ने भी लिखा है लगातार हो रहे दर्द के बाद जब उन्होंने टेस्ट कराया तब जाकर इस बीमारी का पता चल पाया। सोनाली और उनके परिवार ने एक दूसरे को संभाला और इस परिस्थिति का डट कर मुकाबला करने का ठान लिया। मनोचिकित्सकों का कहना है कि इस तरह की स्थिति में परिवार की सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका होती है। खास कर मरीज के सामने हम हमेशा सकारात्मक बातें ही करें और भरोसा दिलाएं कि सब अच्छा हो जाएगा।
सोनाली बेंद्रे को हाईग्रेड मेटास्टेटिस कैंसर हुआ है। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में ऑन्कोलॉजी विभाग की हेड डॉक्टर सपना नांगिया के मुताबिक, मेटास्टेटिस कैंसर का मतलब ये है कि एक जगह कैंसर के सेल मौजूद नहीं हैं जहां से कैंसर की उत्पत्ति हुई है, उससे शरीर के दूसरे अंग में वो फैल चुका होता है। प्रत्येक कैंसर में मेटास्टेटिस का मतलब स्टेज 4 होता है लेकिन सभी कैंसर में स्टेज 4 जानलेवा ही हो, ये बिल्कुल ज़रूरी नहीं है। मुंबई के टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल के डॉक्टर आशुतोष टोंडरे के मुताबिक "स्टेज 4 के कैंसर में सर्जरी नहीं की जा सकती इसलिए केवल कीमो का सहारा लिया जाता है। डॉक्टर आशुतोष टोंडरे बताते हैं कि इसके अलावा कुछ ख़ास तरह के कैंसर में टारगेट थेरेपी भी कारगर हो सकती हैं जो टैबलेट और इंजेक्शन के ज़रिए ख़ून में जाती है ताकि कैंसर सेल शरीर के दूसरे हिस्से में ना पहुंच सके।
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