बेटी का पहला मासिक धर्म और मां की जिम्मेदारी - एक लघुकथा

11 to 16 years

Sharma Divya

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2 weeks ago

बेटी का पहला मासिक धर्म और मां की जिम्मेदारी - एक लघुकथा

"मम्मी.....! क्या हुआ टिया बेटा" बाथरूम से अपनी बेटी की आवाज सुन सुगंधा घबरा गयी। "मम्मा जल्दी आओ ....." "क्या हुआ? "मम्मा देखो मुझे चोट लग गई ...." देख कर सुगंधा समझ गयी "घबराओ नही बेटा कुछ नहीं हुआ है तुम बाहर आओ " ~"क्या हुआ माँ बेटी क्यों चिल्ला रही हैं " मंदिर से निकलते दादी बोली। "क्या हुआ टिया को बहू?" "कुछ नहीं माँ जी टिया को मासिक चक्र शुरू हो गया है" ~"इतनी जल्दी....! अभी तो बारह साल की हुई हैं और अभी से?" "अनाप शनाप खिलाती हो ना ,कितनी बार बोला लड़कियों को ज्यादा बादाम काजू नहीं खिलाने चाहिए लेकिन नहीं ज्यादा पढी लिखी बनती हो उसी का नतीजा है। अभी से जवान हो गई"।

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दादी की बात से टिया घबरा गई और रोने लगती हैं। “मम्मा क्या हुआ मुझे? दादी गुस्सा क्यों कर रही हैं”। “कुछ नहीं हुआ है परेशान नहीं होना बेटा”।  “माँ आप क्या कह रही हैं, आज के समय में जब वातावरण में इतना परिवर्तन है तो इसका असर तो हम लोगों पर भी पडा है। आजकल बारह साल की उम्र मे ही ऐसा हो रहा है। टिया पहले ही घबरा रही है और ऐसे में आप ये सब क्या बोल रही हैं? ”क्या नहीं हुआ उसे? समझाओ और घर की रीत बता दो ,मंदिर में ना घुसे ,पाँच दिन सिर ना धोये.. और अचार और दूध को हाथ ना लगाये । “क्यों दादी?” ~”माँ से पूछ लो “कह कर बाहर निकल गयी ।

“सुनो टिया ,यह एक नेचुरल प्रक्रिया है जो एक छोटी बच्ची को एक होशियार समझदार और जिम्मेदार लडकी बनाती हैं। बेटा यह एक शारीरिक परिवर्तन है जो हर लडकी के साथ होता है,  इसमें डरने की बात नहीं है गर्व की बात है कि आप एक स्वस्थ लड़की हैं।  आओ मैं आपको सफाई और अपना ध्यान कैसे रखना है बताती हूं।  “लेकिन मां.. दादी ये क्यों बोल रही हैं मंदिर में नहीं जाना ,अचार नहीं छूना? “दादी के समय में सेनेटरी पैड उपलब्ध नहीं थे इसलिए सफाई की दृष्टि से कुछ जगहों में पांच दिनों तक प्रवेश वर्जित था औप उसमें से रसोई भी है। ,आप पूछते थे ना मम्मा आप खाना क्यों नहीं बना रही हो दादी और पापा क्यों ?वो इसलिए क्योंकि बच्चे मुझे भी पाँच दिन तक वर्जनाओं को मानना पडता है सिर्फ आपकी दादी के लिए। “तो मम्मा मुझे भी मानना जरूरी होगा?।

“मेरे लिए तो नहीं लेकिन मानने मे एक फायदा भी है इन दिनों शारीरिक और मानसिक तनाव और थकान महसूस होती हैं उससे हमें आराम मिल जाता है और आपकी दादी भी खुश रहेगी, इसमें कुछ भी अनोखा नहीं है, विरोध कर सकते है लेकिन समय आने पर बदलाव स्वतः हो जायेगा”। “अब डरो नहीं अपनी नार्मल लाईफ जीयो थोड़ा ध्यान अपना रखना पडेगा और बाकी आपकी मम्मा है आपके पास”। “मम्मा आई लव यू”कह कर टिया माँ के गले लग गई। “लव यू टू बेटा”

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