बेटियों को पढाईये!
क्यों बेटी को इतना पढाना हैं, 20 साल की हो गई है , करना तो इसे चूल्हा चौका ही है। अब इसे रसोई के काम मे लगाओ और लडका ढूढों।ज्यादा पढ लिख जायेगी तो लडका मिलना मुश्किल हो जाएगा।यह सब रश्मि की बुआ सावित्री उसकी मां को कह रही थीं। सिर्फ रश्मि ही नहीं ना जाने कितनी ही बेटियों की मां को ऐसा सुनना पडता होगा।
इधर सावित्री की बात पूरी हुई ही थी की सावित्री की बेटी अनु जो तलाक शुदा थी बोल पडी... मां आपने तो मेरे सपने पूरे नही होने दिये, मेरी पढाई बीच मे ही छुडवा दी और कम ऊम्र मे ही मेरी शादी कर दी ,मेरी मेरे पति से बनी नही मेरा तलाक हो गया, आज मुझे सबकी सुननी पडती है ,इसकी जगह अगर मैं पढ लिख गई होती तो अपने पैरों पर खडी होती आप पर बोझ नही होती।आज तक मैंने नहीं बोला पर आज मै चुप नहीं रह सकी। अनु के मामाजी ने अनु की बात सुन ली थी वे बोले सिर्फ रश्मि ही नहीं बल्कि आज से अनु भी पढने जायेगी इसकी पढाई का सारा खर्चा मैं उठाउंगा।अनु की बातों से उसकी मां को एहसास हुआ की वो कितनी गलत थीं ,उन्होंने सभी से माफी मांगी.....आज अनु अपने पैरों पर खडी हैं.. सरकारी नौकरी लग गई है उसकी..अब वो किसी पर बोझ नही हैं....
आप भी जागिये... बेटीको पढाईये, उन्हें अपने पंख फैलाकर खुले आसमान मे उडने दिजिये, यकीनन वे आपको गोरान्वित ही करेगी.... और सिर्फ बेटियों को ही क्यों बहुओं को भी पढाईये.... घुघंट की बेडियां, रसोई की चारदीवारी मे उन्हें पाबंद न करें..............इनकी इच्छाओं को न मारे ,इनके सपने पूरे करने मे इनकी मदद करें।यकीन मानिये बहु और बेटिया आपको सर आँखों पर बैठा कर रखेंगी,बहुत इज्जत करेंगी आपकी। हर इंसान को स्वतंत्र रूप से जीने का हक हैं... ऐसे ही कई और मुद्दों पर हम बातचीत करते रहेंगे / इस आर्टिकल के बारे मे आप अपने विचार मुझसे साझा जरूर करें/
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