अपने बच्चे को सुरक्षित रख ...
हम सभी जानते हैं कि बदलता मौसम अपने साथ कई बीमारियां और एलर्जी लेकर आता है। यह एलर्जी बहुत परेशान करने वाली होती है और अगर इसका समय पर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप ले सकती है। खासतौर पर बच्चे इसकी चपेट में जल्द ही आ जाते हैं। बच्चे जो हरदम उछल कूद करते रहते है,जब थोड़े से भी बीमार पड़ जाते है तो हमें टैंशन होना स्वभाविक है। बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है जिस वजह से वे जल्दी बीमार हो जाते है। कई बच्चों में एलर्जी होना आम समस्या है। यह समस्या या तो ज्यादा दवाईयां लेने के बाद आई कमजोरी की वजह से हो जाती है या फिर बदलते मौसम में भी एलर्जी की अधिकता हो जाती है। एलर्जी के लक्षणों में आंखों में जलन, त्वचा पर छोटे-छोटे दाने, नाक में एलर्जी, छींक, शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाना आदि शामिल हैं। जिन बच्चों को ये परेशानी होती है वे किसी काम में पूरा मन नहीं लगा पाते और हरदम चिड़चिड़े बने रहते है। आज हम आपको एलर्जी के लक्षण और सावधानियों के बारे में बताएगें ताकि आप अपने बच्चे को इससे बचा सके।
1.अगर बच्चों में सर्दी, जुकाम की समस्या होती है तो नाक का बहना आम बात है। लेकिन यदि आपका बच्चा बार-बार अपनी नाक को रगड़े तो हो सकता है कि उसके नाक में किसी तरह की एलर्जी है। यह समस्या ज्यादातर धूल मिट्टी के कण से होती है।
2. त्वचा संबंधी समस्या भी एलर्जी का एक लक्षण हो सकता है। बच्चों में जहां की त्वचा, जैसे कोहनी व घुटने, मुड़े हुए होते हैं, वहां लाल चकत्ते दिखाई देते हैं। ऐसे ही चकत्ते आंखों के आसपास भी दिखाई देने लगते हैं। यह समस्या तब होती है जब बच्चे किसी चीज को छू देते हैं जिससे उन्हें एलर्जी हो जाती है।
3. जब बच्चों में पहली बार कफ के लक्षण दिखाई देते हैं तो आप मान लेते हैं कि यह एक वायरस है। अगर बच्चे में लगातार कफ बना हुआ है या वह ठीक हो कर बार-बार वापस आ जाता है , तो यह एक एलर्जी है। एलर्जी में होने वाला कफ सामान्यत: सूखा होता है।
4. कई बच्चों को फूड एलर्जी होती है।बच्चों को सामान्यत: अण्डे, दूध, सोया, मूंगफली या गेहूं तक से भी एलर्जी हो सकती है। जिन बच्चों को दूध, अंडे, गेहूं और सोयाबीन से एलर्जी है, अगर वह पांच साल की उम्र तक इन चीजों का सेवन न करें तो बाद में यह समस्या खत्म हो जाती है, लेकिन मूंगफली, नट्स और शेलफिश की एलर्जी सारी उम्र रहती है।
1. एलर्जी होते ही बच्चों का तुरंत इलाज करवाना चाहिए और डाक्टर ने जो परहेज बताए हैं उन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
2. घर की नियमित सफाई करें। वैक्यूम क्लीनिंग करना अधिक बेहतर होगा। हर दो हफ्ते में घर के पर्दे और एक हफ्ते में बेडशीट को बदलें।
3. घर के कपड़ों को धोते समय उसमें एंटीसेप्टिक की दो बूंद डालना नहीं भूलें।
4. जिन पौधों में फूल होते हैं उन्हें कमरे के अंदर नहीं रखें।
5. घर से बाहर निकलने से पहले मुंह को किसी कपड़े से जरूर ढंके। यह बच्चे को धूल- मिट्टी व प्रदूषण से बचाएगा।
6. फर वाले पालतू जानवरों से दूरी रखें। घर में इनके होने पर इन्हें बेडरूम या सोने वाले बिस्तर पर न आने दें।
बच्चे की एलर्जी में किसी भी प्रकार की लापरवाही घातक हो सकती है। एलर्जी की दशा में बच्चे को तत्काल डाक्टर के पास ले जाना चाहिए। यदि घर मेन रोड पर है तो दरवाजे और खिड़कियों को जहां तक संभव हो, बंद रखें। खिड़कियों पर शीशे के साथ बारीक जाली लगाएं। इससे कीडे़ मकोड़े भी घर के अंदर नहीं आ पाएंगे। साथ ही बच्चे के कमरे में उसके सोने व खेलने की जगह बिल्कुल साफ होनी चाहिए। ताकि आपका बच्चा हँसता- खेलता और स्वस्थ बचपन जी सके।
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