छोटे बच्चों को क्यों पसंद ...
बच्चे तीन महीने के होते-होते ही शीशे में अपना प्रतिबिंब देख कर प्रतिक्रिया देने लगते हैं। सभी छोटे बच्चों को शीशे के साथ खेलना पसंद होता है वो बहुत छोटी उम्र से ही ये समझने लगते हैं कि शीशे में उनका अपना प्रतिबिम्ब अन्य लोगों से अलग दिखता है और वो इसे पहचानने भी लगते हैं। 18 महीने के होने पर लगभग सभी बच्चे ऐसा करने लगते हैं.
आपका बच्चा अपना चेहरा पहचानने लगा है या नहीं, ये जानने के लिए आप उसके चेहरे पर कोई निशान लगा सकते हैं। ये इस तरह करें कि उसका ध्यान न जाये और फिर उसे शीशा दें। अगर वो शीशा देख कर उस निशान को हटाने की कोशिश करता है तो वो अपना चेहरा पहचानने लगा है। इससे ये पता चलता है कि आपके बच्चे का दिमाग़ी विकास अच्छी तरह हो रहा है.
अगर आप बच्चे के साथ शीशे से खलते हुए चेहरे बनाते हैं तो वो कई बार आपकी नक़ल उतारने की कोशिश करते हैं। ऐसा वो इसलिए करते हैं क्योंकि वो आपके चेहर में आ रहे बदलावों को पहचान पाते हैं जो कि एक अच्छा संकेत है। शीशे से खेलने पर बच्चों में कलात्मकता और रचनात्मकता पनपना शुरू होती है।
अन्य सभी खेलों की तरह अगर इस खेल में भी आप बच्चे के साथ हिस्सा लेते हैं तो ये उनके लिए अच्छा होता है. इससे आपके और बच्चे के बीच का भावनात्मक रिश्ता भी मज़बूत होता है।
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