बच्चों के दांतों से जुड़े इन मिथकों पर कभी न करें भरोसा

जब बच्चा लगभग 6 महीने का होता है तब उसके दांत निकालना शुरू होते हैं. इसी समय के आस-पास वो बोलना शुरू करते हैं. दांत निकलने से जुड़े कई मिथक हैं, जैसे जब बच्चों के दांत निकलते हैं तो उन्हें बुख़ार, दस्त, आदि होते रहते हैं. इसलिए कई माता-पिता इस दौरान परेशान भी हो जाते हैं. इस परेशानी का कारण अकसर दांत निकलने से जुड़े मिथक होते हैं।
दांत निकलने से जुड़े वो मिथक जिन पर आपको भरोसा नहीं करना चाहिए/ The myths related to the exit of teeth that you should not trust in Hindi
- बच्चों को डेंटिस्ट की ज़रूरत नहीं होती:ये एक प्रचलित मिथक है. माता-पिता ख़ुद डेंटिस्ट के पास जाने के बावजूद बच्चों को डेंटिस्ट के पास नहीं ले जाते. उन्हें लगता है कि जब बच्चे के दांत ही नहीं है तो उसे डेंटिस्ट के पास क्या ले जाना लेकिन ऐसा सोचते हुए वो ये भूल जाते हैं कि जिन बच्चों के दांत नहीं आये होते, उनके मसूड़े तो होते हैं. उन्हें देखना भी डेंटिस्ट का ही काम होता है. और ऐसा भी नहीं होता कि उनके दांत नहीं होते, दांत होते हैं बस वो बहार नहीं आये होते। छोटे बच्चों को भी डेंटिस्ट के पास ज़रूर ले जाना चाहिए. जब उसका पहला दांत आये, तब भी उसे डेंटिस्ट के पास ले जाकर सुनिश्चित करना चाहिए कि सब ठीक है. इसके अलावा, हर 6 महीने में भी डेंटिस्ट के पास जाना चाहिए.
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दांत निकलने से बुखार, दस्त और दाने होते हैं: दांत निकलने की प्रक्रिया में बच्चे को दर्द तो बेशक़ होता है लेकिन इसके अलावा बच्चों को कोई ख़ास असुविधा नहीं होती. इस दौरान बच्चे चिढ़चिढ़े ज़रूर हो जाते हैं. इस उम्र के बच्चों को यूँ भी बुख़ार, दस्त आदि होता रहता है लेकिन इसका दांत निकलने से कोई ख़ास संबंध नहीं होता.
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पहला दांत निकलने का समय बताता है कि बच्चा कितना होशियार होगा : ये बिलकुल निराधार बात है. पहला दांत कब निकल रहा है इसका बच्चे का दिमाग़ तेज़ होने से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं होता. दांत जल्दी या देर से निकलने के पीछे कई अन्य कारण हो सकते हैं. अध्ययन में पाया गया है कि लड़कियों के दांत लड़कों के मुक़ाबले ज़रा जल्दी निकलते हैं.
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दांत निकलने में देर होने पर मसूड़ों में चीरा लगवाना पड़ता है :ऐसा बहुत कम होता है कि बच्चों के मसूड़ों में चीरा लगाना पड़े. आम तौर पर बच्चों के दांत निकलने में थोड़ी-बहुत देरी होना सामान्य होता है.
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बच्चों को इस दौरान ख़ास खिलौनों की ज़रूरत होती है : मार्केट में इस समय के लिए कई तरह के खिलौने उपलब्ध हैं, जिन्हें 'Teethers' कहा जाता है. कई लोग समझते हैं कि ये बच्चों के लिए ज़रूरी होते हैं, जबकि ऐसा नहीं है. बल्कि इन्हें ख़रीदते वक़्त माता-पिता को ख़ास सावधानी बरतनी चाहिए. आपको ध्यान रखना चाहिए कि ये इतने मज़बूत हों कि बच्चों द्वारा चबाये जाने पर टूटें न. आप ये खिलौने देने के बजाये बच्चों को कोई साफ़ गीला तौलिया भी दे सकते हैं.
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इस समय बच्चों को दवाई की ज़रूरत होती है : इस समय बच्चों को कोई दर्दनिवारक दवा देने की ज़रूरत नहीं होती. लगाने की दवा भी इस वक़्त असरदार नहीं होती क्योंकि बच्चों के मुंह में इस वक़्त बहुत थूक बनता रहता है, जिससे दवा हट जाती है.
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