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बड़ों से ज़्यादा बच्चों को चाहिए होती है नींद, इन मिथकों को जान कर समझें उसकी नींद को

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Sreelakshmi

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5 months ago

बड़ों से ज़्यादा बच्चों को चाहिए होती है नींद, इन मिथकों को जान कर समझें उसकी नींद को

बच्चों की आदतों को समझना बड़ा ही जटिल होता है, ख़ास कर कि उनके सोने से जुड़ी आदतों को। बच्चों की परवरिश को लेकर  तो  लोग अलग-अलग सलाहें देते रहते हैं लेकिन आपको वो ही बातें माननी चाहियें, जिनका कोई आधार हो. बच्चों को बड़ों से ज़्यादा नींद की ज़रूरत होती है, इसलिए ये ज़रूरी है कि आप उनकी नींद को ठीक से समझें.
 

ये हैं बच्चों की नींद से जुड़े कुछ मिथक, जिन्हें ज़्यादातर लोग सही मान बैठते हैं/ These are some myths related to the sleep of children In hindi

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    पहला मिथक: सोते हुए बच्चे को कभी जगाना नहीं चाहिए
     

    स्लीप एक्सपर्ट्स का मानना है कि जिस तरह ज़रूरत से ज़्यादा सोना बड़ों के लिए हानिकारक होता है, उसी तरह बच्चों के लिए भी ये अच्छा नहीं होता. इसके बावजूद, लोग मानते हैं कि सोते हुए बच्चे को कभी नहीं जगाना चाहिए. जबकि सिर्फ़ सोने जाने का समय ही नहीं, बल्कि उठने का समय भी सही होना ज़रूरी है. कई माता-पिता बच्चों को जागाते ही नहीं हैं, इस वजह से बच्चे ज़रूरत से ज़्यादा समय सोते रहते हैं.

    शिशुओं को 20 घंटे तक सोना चाहिए और 6 महीने से बड़े बच्चों को 13 घंटे. इससे ज़्यादा सोने से बच्चों को नींद आने में मुश्किल होती है और उनकी नींद बार-बार बीच में टूटती है. इसलिए बच्चों को सही समय पर जगाना भी ज़रूरी है.
     

    दूसरा मिथक: लोरी सुनाने से बच्चे को नींद आती है
     

    मधुर लोरी बच्चे को सोने में मदद करती है लेकिन इससे जुड़ी कई और बातें भी जाननी चाहियें. लोरी के बीच में रुकने से बच्चे की नींद में विघ्न पड़ता है. इससे वो सोने के लिए संगीत पर निर्भर हो जाते हैं और इसके बिना उन्हें सोने में दिक्कत होने लगती है. उसे बिना लोरी सुने, सामान्य आवाज़ों के बीच सोना भी आना चाहिए.
     

    मिथक तीन: बच्चों को सुलाने का एक निश्चित तरीका होता है
     

    हर बच्चा अपने-आप में अलग होता है. उन्हें सुलाने का कोई निश्चित तरीका नहीं होता. हर बच्चा अलग तरह से सोता है. जो तरीक़े आप इंटरनेट पर देखते हैं, ज़रूरी नहीं है कि वो आपके बच्चे पर भी काम करेंगे. बेहतर ये होगा कि आप अपने बच्चे को समझें और अपना नया तरीका आज़माएँ.
     

    चौथा मिथक: बड़े बच्चों को बार-बार नहीं सोने देना चाहिए
     

    कई माता-पिता बच्चों के बढ़ने के साथ समझने लगते हैं कि अब उन्हें दिन के बीच में सोने की ज़रूरत नहीं होगी. बड़े होने के साथ-साथ बच्चे भी सोने जाना नापसंद करने लगते हैं. कुछ बच्चों को बिस्तर में भेजने के लिए तो माता-पिता को बहुत मेहनत भी करनी पड़ती है. बढ़ते बच्चों को भी दिन के बीच एक बार ज़रूर सोना चाहिए. इससे वो ज़्यादा एक्टिव रहते हैं. बच्चों को कम से कम दिन में आधे घंटे की नींद लेनी चाहिए.
     

    पांचवा मिथक: जब बच्चा सोये, तो एकदम शांति रहनी चाहिए
     

    जब बच्चा कोख में होता है तब वो हर तरह की आवाज़ों को बीच सोता है. आपको नहीं पता होता कि अन्दर बच्चा कब सो रहा है, इसलिए आप सामान्य काम करते रहते हैं. इसलिए बच्चों को आम आवाज़ों के बीच सोने से कोई परेशानी नहीं होती.

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