अपने बच्चो को पानी का मूल ...
पृथ्वी पर पानी की मात्रा -- पृथ्वी पर एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी है. 97.5% पानी समुद्र में है, जो खारा है| बाकी 1.5 % पानी बर्फ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में है| इसमें से बचा 1% पानी नदी, सरोवर, कुओं, झरनों और झीलों में है, जो पीने के लायक है| इस 1% पानी का 60वां हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खपत होता है, बाकी का 40 वां हिस्सा पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ-सफाई में खर्च करते हैं|
जल के स्रोतों को हम तीन भागों में विभाजित कर सकते हैं – पहला है धरातल के ऊपर से प्राप्त जल ,यह बारिश का जल है जो शुद्ध होता है किन्तु सतर्कता ना रखने पर जमीन पर आते आते इसमें कई प्रकार की अशुद्धियाँ घुलने का डर रहता है। दूसरा धरातलीय जलजो की नदी, तालाब, झील, झरने आदि में पाया जाता हैं।तीसरा धरातलीय जल जो कच्चे तथा पके कुएं , बावड़ी, बोरिंग आदि में रहता है ।
जल को बचाने के तरीके -- जितना हो सके उतना हमे बरसात के पानी को एकत्रित करना चाहिए। नल को खुला ना छोड़े जैसे की आप जब भी ब्रश करें, दाढ़ी बनायें, सिंक में बर्तन धोएं, तो जरूरत ना होने पर नल बंद रखे, बेकार का पानी ना बहायें| ऐसा करने से हम 6 लीटर हर एक मिनट में पानी बचा सकते है| नहाते समय भी बाल्टी से पानी को व्यर्थ ना बहायें|नहाने के लिए शावर की जगह बाल्टी काउपयोग करें| अगर शावर उपयोग भी करें तो छोटे वाले लगायें, जिससे पानी की कमखपत हो| शावर का उपयोग ना करके हम 40-45 लीटर पानी हर 1मिनट में बचा सकते है | जहाँ कहीं भी नल लीक करे, उसे तुरंत ठीक करवाएं| नहीं तो उसके नीचे बाल्टी या कटोरा रखें और फिर उस पानी का प्रयोग करें|पोधों में पानी पाइप की जगह वाटर कैन से डालें, इससे बहुत कम पानी उपयोग होता है| पाइप से 1 घंटे में 1000 लीटरपानी तक पानी उपयोग हो जाता है, जो पूरी तरह से पानी का नुकसान है| हो सके तो कपड़े धोने वाले पानी को पोधों पर डालें| पेड़ पोधे लगायें जिससे अच्छी बारिश हो और नदी नाले भर जाएँ जो भी पानी बर्वाद करता है उसे रोकें आदि बहुत से अनगिनत तरीके है जिससे आप जल को बर्बाद होने से बचा सकते है |
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